एक ही कम्पनी को काम देने का आरोप एक अधिकारी ने आरोप लगाया कि प्रदेश के अधिकांश जिलों में बायोगैस प्लांट बनाने के लिए गुजरात के वलसाड की एक ही कम्पनी एमएसए बायो-एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को काम दिया है। दो बार टैंडर करने पर दोनों ही बार इसी एक कम्पनी ने आवेदन निदेशालय स्तर पर किया था। फिर भी उसे काम दिया गया। इसके टैंडर दस्तावेज भी जयपुर निदेशालय से सभी जिले को भेजे गए थे। एक प्लांट बनाने के लिए 50 लाख की लागत तय है। भरक माता में 50 लाख की लागत से गैस प्लांट बन रहा है। गोशाला में 600 से अधिक गोवंश है। इस प्लांट से लोगों को गैस के अलावा प्रतिदिन 700 किलो गोबर खाद भी मिलनी थी।
घटिया निर्माण पर नोटिस गोबर-धन परियोजना में बायौगेस प्लांट का निर्माण भरक स्थित जयश्री भरका देवी गोशाला में किया जा रहा है। इसका गत दिनोें जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं सदस्य सचिव चन्द्रभान सिंह एवं जिला स्वच्छता मिशन के जिला परियोजना सवन्वयक दिनेश चौधरी, सहाड़ा पंचायत समिति के विकास अधिकारी रितेश जैन ने निरीक्षण किया था। निर्माण में निर्धारित तकमीना अनुसार काम नहीं पाया गया। इसे अधिकारियों ने गंभीरता से लेते तुरंत प्रभाव से काम बंद कराने के आदेश सहाड़ा के विकास अधिकारी को दिए। साथ ही कम्पनी को नोटिस दिया। इसमें बताया कि निर्माण कार्य में 10 एमएम सरिए के स्थान पर 8 एमएम के सरिए काम में लिए गए। सीमेंट का उपयोग भी सही नहीं किया गया। सरिया बाहर की ओर साफ नजर आ रहे थे। निर्माण कार्य में शर्तेां का उल्लंघन किया गया है।
बायो गैस का यह होगा उपयोग बायो गैस में मीथेन (55 से 60 प्रतिशत), कार्बनडाईऑक्साइड (35 से 40 प्रतिशत) और अन्य गैस होती है। मुख्यतः इसका उपयोग खाना बनाने में होता है। इसके लिए सिंगल बर्नर व डबल बर्नर काम के लिए जाते हैं। इन चूल्हों में हवा की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए नियंत्रक होता है। इसे शुरू में बंद रखा जाता है। गैस खाना चपाती बनाने, रोशनी, डीजल एवं पेट्रोल ईंजन चलाने और बचे घोल का उपयोग रासायनिक खाद के रूप में किया जा सकता है।
गुणवत्ता जांच के लिए बंद कराया बायोगैस के निर्माण की गुणवत्ता की जांच के लिए काम बंद करवाया था। जांच रिपोर्ट आने के बाद काम पुन: शुरू करवाया जाएगा। चन्द्रभान सिंह भाटी, सीईओ, जिला परिषद