scriptBhilwara news : नियम संयम व तपस्या का पर्व छठ पूजा 7 को, नहाय खाय से प्रारम्भ होगा पूजा | Bhilwara news: Chhath Puja, a festival of discipline and penance, will be on the 7th, Puja will begin with Nahai Khay | Patrika News
भीलवाड़ा

Bhilwara news : नियम संयम व तपस्या का पर्व छठ पूजा 7 को, नहाय खाय से प्रारम्भ होगा पूजा

छठ महापर्व षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला पर्व है जो बेहद कठिन है। यह पर्व नियम संयम व तपस्या का पर्व है जो चार दिन चलता है।

भीलवाड़ाNov 04, 2024 / 10:46 am

Suresh Jain

Chhath Puja, a festival of discipline and austerity, is on 7th

Chhath Puja, a festival of discipline and austerity, is on 7th

Bhilwara news : छठ महापर्व षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला पर्व है जो बेहद कठिन है। यह पर्व नियम संयम व तपस्या का पर्व है जो चार दिन चलता है। छठ मूल रूप से बिहार और पूर्वांचल में मनाया जाता है। भीलवाड़ा शहर में इसे बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यहां बिहार और पूर्वांचलवासी बड़ी संख्या में लोग रहते है। यह पर्व 7 नवंबर को मनाया जाएगा। इसकी तैयारी शुरू हो गई है।
छठ पर्व मुख्य रूप कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को मनाते हैं लेकिन इसके अलावा चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि का छठ पर्व, जिसे चैती छठ कहते हैं यह भी काफी प्रचलित है। इस तरह दो छठ व्रत विशेष रूप से महत्व है। दोनों ही छठ पर्व भगवान सूर्य को और षष्ठी माता को समर्पित है। इसलिए छठ पर्व में भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और छठ मैया की पूजा कथा की जाती है।
छठ पर्व के चार दिन का खास महत्व

छठ पर्व मुख्य रूप से षष्ठी तिथि को किया जाता है। यह 7 नवंबर को है। इसका आरंभ नहाय खाय से हो जाता है यानी छठ पर्व शुरुआत में पहले दिन व्रती नदियों में स्नान करके भात, कद्दू की सब्जी और सरसों का साग एक समय खाती है। दूसरे दिन खरना किया जाता है। इसमें शाम के समय व्रती गुड़ की खीर बनाकर छठ मैय्या को भोग लगाती हैं और पूरा परिवार इस प्रसाद को खाता है। तीसरे दिन छठ का पर्व मनाया जाता है जिसमें अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व को समापन किया जाता है।
छठ पूजा की महिमा

छठ पूजा को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, क्योंकि इस दौरान श्रद्धालुओं को कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है। यह व्रत परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और रोगमुक्त जीवन के लिए किया जाता है। इस त्योहार के दौरान सूर्य की आराधना से हमें ऊर्जा और शक्ति मिलती है, जो जीवन में सकारात्मकता का संचार करती है।
छठ पूजा का प्रसाद

छठ पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, चावल के लड्डू, फलों और नारियल का प्रयोग किया जाता है। ये सभी प्रसाद शुद्ध सामग्री से बनाए जाते हैं और सूर्य देवता को अर्पित किए जाते हैं।
यह होगा कार्यक्रम

  • 5 नवंबर नहाय खाय- छठ पूजा के पहले दिन, श्रद्धालु नदी या तालाब में स्नान करते हैं और केवल शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।
  • 6 नवंबर खरना- दूसरे दिन, व्रती दिन भर निर्जला उपवास रखते हैं। शाम को पूजा के बाद प्रसाद के रूप में खीर, रोटी और फल खाए जाते हैं।
  • 7 नवंबर संध्या अर्घ्य- तीसरे दिन, व्रती सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है।
  • 8 नवंबर प्रातःकालीन अर्घ्य- चौथे दिन, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं और प्रसाद वितरण करते हैं।

Hindi News / Bhilwara / Bhilwara news : नियम संयम व तपस्या का पर्व छठ पूजा 7 को, नहाय खाय से प्रारम्भ होगा पूजा

ट्रेंडिंग वीडियो