हर एंगल पर अलग वजन इस रिसर्च में आईआईटी और एम्स ने मोबाइल फोन को पकड़ने और गर्दन नीचे झुकाकर लंबे समय तक फोन इस्तेमाल करने के दौरान नैक और स्पाइन पर पड़ रहे दबाव का अध्ययन किया। गर्दन को सीधे रखकर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने की स्थिति में गर्दन पर सिर्फ 5 किलोग्राम के बराबर वजन पड़ा, वहीं 30 डिग्री के एंगल में गर्दन को झुकाकर फोन इस्तेमाल करने पर वजन 40 फीसदी तक बढ़कर 18 किलोग्राम हो गया। गर्दन को पूरी तरह नीचे झुकाकर 60 डिग्री में वजन एक तरफा बढ़कर 27 किलोग्राम तक पहुंच गया। रिसर्च में सामने आया कि करीब एक घंटा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने पर गर्दन की हड्डी में दर्द शुरू हो जाता है, लेकिन लोग अपना सिटिंग पैटर्न को ठीक नहीं करते।
आईआईटी ने निकाला हल मोबाइल फोन को सही तरीके से नहीं पकड़ने से होने वाली कॉमन से लेकर गंभीर मेडिकल समस्याओं को कम करने आईआईटी भिलाई ने एक ऐसा ऐप तैयार किया है, जो गलत तरीके से मोबाइल को होल्ड करने पर पॉपअप मैसेज दिखाता रहेगा। मोबाइल में मौजूद कुछ सेंसर्स का इस्तेमाल कर यह ऐप मोबाइल पकड़ने का सही एंगल और गर्दन की सही स्थिति भी बताएगा। इस ऐप का नाम टेकईज रखा है, जिसे जल्द ही यूजर्स प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकेंगे। वहीं इसका एक वर्जन मेडिकल फील्ड के लिए भी होगा, जिसमें डॉक्टर्स अपने मरीजों को जोड़कर हैड- नैक से जुड़ी प्रॉब्लम को सही कर सकेंगे।
जल्द लॉन्च होगा ऐप आईआईटी भिलाई का यह एडवांस टूल पेटेंट की ओर है, जिसके बाद इसे एक स्टार्टअप के तौर पर लॉन्च किया जाएगा। संस्था की ओर से इसमें विशेष फंडिंग भी उपलब्ध कराने की तैयारी है। हाल ही में इस ऐप का डेमो मेडिकल और टेक्निकल जगत के विशेषज्ञों के सामने दिया गया है, जिसमें काफी सराहना मिली है। प्रोजेक्ट में छात्रा अंकिता, रोशनी, आस्था का भी अहम रोल है।
बढ़ रही समस्या इस प्रोजेक्ट से जुड़े एम्स रायपुर के विशेषज्ञों ने बताया कि एक ही पोजिशन में लंबे समय तक बैठने, लेटने या खड़े रहने की स्थिति में नसों से जुड़ी समस्याओं की आशंका 87 फीसदी तक बढ़ जाती हैं। गलत हैंड एंगल की वजह से पड़ने वाले दबाव को देखते हुए कई बार कुछ केसेज में ऑपरेशन तक की नौबतहोती है।
रील्स देख रहे आईआईटी के सहायक प्राध्यापक और इस प्रोजेक्ट में मेंटर डॉ. जोस इमैनुअल आर ने बताया कि करीब 93 फीसदी मोबाइल फोन युवाओं के हाथों में है। करीब 37 फीसदी युवा दिन में 7 घंटे रील्स, म्युजिक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम आदि का इस्तेमाल करते हैं, उनकी स्पाइन और हैड नैक संबंधी समस्याएं होने का खतरा बढ़ गया है।
ऐसे करें बचाव – बीच-बीच में गर्दन को घुमाते रहें।
– 2 से 10 डिग्री तक गर्दन झुकाकर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करें।
– लेटकर मोबाइल देखने की बजाय सीधे बैठकर मोबाइल प्रयोग करें।
– बीच-बीच में आराम लेते रहें।
– बच्चों को मोबाइल, टेबलेट की बजाय मैदान में खेलने के लिए प्रेरित करें।
– बच्चों को अगर मोबाइल फोन की आदत लगेगी तो वे शारीरिक गतिविधियां नहीं करेंगे, जिससे मोटापा बढ़ेगा।
– बच्चों के साथ समय बिताएं, उनको बाहर घुमाने ले जाएं, उनको दौड़ आदि खेल खिलवाएं।
आईआईटी भिलाई की इस तरह की रिसर्च सोसाइटी को ध्यान में रखकर होती है, जिसमें एक बहुत बड़ा तबका शामिल होता है। आज के आधुनिक युग में मोबाइल फोन वरदान है, लेकिन इससे होने वाले नुकसान से भी अंजाने नहीं हैं। इसलिए टेक्नोलॉजी के जरिए इसके दुष्प्रभाव को कम किया जाना बेहद जरूरी है। – प्रो. राजीव प्रकाश, डायरेक्टर, आईआईटी भिलाई