निरीक्षण के दौरान प्रधान पाठक शायना परवीन खान सहित 6 शिक्षक अनुपस्थित पाए गए। स्कूल की उपस्थिति पंजी और अन्य दस्तावेजों की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि इसमें कई तरह की गलतियां है, वहीं दस्तावेजों में प्रधान पाठक के हस्ताक्षर भी नहीं है। संभागायुक्त के निर्देश पर संयुक्त संचालक शिक्षा ने प्रधान पाठक सहित 6 शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इन शिक्षकों पर गंभीर लापरवाही का चार्ज लगाकर निलंबन के दौरान दुर्ग के बजाए संभाग के अलग-अलग जिलों में अटैच किया गया है।
तीन महीनों से बिना छुट्टी गैरहाजिर निरीक्षण के दौरान खुलासा हुआ कि स्कूल शिक्षक एलबी रेखा अग्रवाल का उपस्थिति रजिस्टर में तीन महीनों से अटेंडेंस है ही नहीं। पहले भी इनके विरुद्ध विभिन्न कार्यालयों में अर्मादित आचरण की शिकायत मिली है। इसके बाद भी एक ही जगह पर कई वर्षों से यह जमी हुई हैं। यही नहीं इनके अलावा जो शिक्षक निलंबित हुए हैं, उनका स्कूल पहुंचने का कोई समय निर्धारित नहीं है। वे अपनी सुविधा के हिसाब से स्कूल पहुंचते रहे हैं। बच्चे इंतजार करते रह जाते हैं, लेकिन ये शिक्षक कक्षा लिए बिना ही वापस हो जाते हैं।
ये तो गजब है साहब… दुर्ग जिले की दर्जनों स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। यही नहीं कई स्कूल तो एकल शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं। जबकि शिक्षा विभाग द्वारा महात्मा गांधी शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला दुर्ग में बच्चों की कुल दर्ज संख्या 94 होने के बावजूद प्रधान पाठक सहित 11 शिक्षकों को पदस्थ किया।
नियम से प्रत्येक 40 बच्चों पर एक शिक्षक पदस्य किया जाता है। इस हिसाब से इस स्कूल में तीन शिक्षक पर्याप्त थे, लेकिन यहां 8 अतिरिक्त शिक्षकों को रखा गया। यही वजह है शिक्षक अपनी मनमानी पर उतर आए। अधिकतर शिक्षक कक्षा में शिक्षण कार्य के लिए महीनों से नहीं गए। स्कूल से गैरहाजिर रहकर निजी कार्यों में संलग्न रहे।
डीईओ व बीईओ से सात दिन में मांगा जवाब इस मामले में संभागायुक्त के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी अभय जायसवाल और दुर्ग विकासखंड शिक्षा अधिकारी गोविंद साव को भी शोकॉज नोटिस जारी किया गया है। दरअसल, निरीक्षण पंजी की जांच में पता चला कि डीईओ और बीईओ ने 6 फरवरी 2023 इसके बाद 16 अक्टूबर और फिर 18 अक्टूबर 2023 को इस स्कूल का निरीक्षण किया था। उनके निरीक्षण के बाद भी स्कूल की स्थिति में सुधार नहीं हुआ और न ही किसी भी शिक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।
डीईओ और बीईओ को भेजे गए कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि स्कूल में इतनी अव्यवस्था होने के बावजूद कार्रवाई करने उच्च कार्यालय को प्रस्ताव नहीं भेजना कर्तव्य निर्वहन के प्रति उदासीनता को दर्शाता है। साथ ही अधिनस्थ शिक्षकों पर नियंत्रण की कमी के साथ पर्यवेक्षण की कमी भी जाहिर होती है। इस प्रकरण में डीईओ व बीईओ से सात दिनों के भीतर जवाब तलब किया गया है।
दो शब्द नहीं पढ़ पाए बच्चे अतिशेष शिक्षक एवं छात्रों की कम दर्ज संख्या होने के बावजूद बच्चों का शैक्षणिक स्तर बेहद खराब मिला। औचक निरीक्षण में अधिकारियों ने बच्चों से मामूली सवाल किए जिसका जवाब भी बच्चों ने नहीं दिया। निरीक्षण में साबित हो गया कि बच्चों का शैक्षणिक स्तर संतोषजनक नहीं है। अतिशेष ही सही लेकिन न्यूनतम दर्ज संख्या के बाद भी इतने अधिक पदस्थ शिक्षकों ने भी इन बच्चों को नहीं पढ़ाया।
चौकाने वाली बात यह भी है कि जिन दिन निरीक्षण किया गया, उस समय कक्षाओं में कुल दर्ज संख्या 94 में से 62 बच्चे उपस्थित रहे, जबकि 32 बच्चे कक्षा से गैरहाजिर रहे। स्कूल में बच्चों की उपस्थिति इसी तरह लगातार बनी हुई है। इन बच्चों को कक्षा तक पहुंचाने के लिए उनके शिक्षकों ने कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई। जिला शिक्षा विभाग भी जानबूझकर बेखबर बना रहा।
एक स्कूल में इतने शिक्षक क्यों?
एक स्कूल में 11 शिक्षकों का होना जबकि दर्ज संख्या सिर्फ 94 है। यह सही नहीं है। अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि व्यवस्था बनाकर चले। इस तरह की कार्यवाही लगातार जारी रहेगी। अफसर और शिक्षकों को चाहिए वे अपना कर्तव्य पूरी निष्ठा के साथ निभाएं। प्रकरण में डीईओ और बीईओ से भी जवाब तलब किया गया है। -एसएन राठौर, संभागायुक्त, दुर्ग संभाग
हमने पहले ही जानकारी भेजी
इस स्कूल में अतिशेष शिक्षक हैं। इनके कारनामों की शिकायत पहले भी मिल चुकी है। इसकी जांच कर रिपोर्ट जेडी कार्यालय को पहले ही भेजी जा चुकी थी। इस मामले में मुझे भी शोकॉज मिला है। -अभय जायसवाल, डीईओ, दुर्ग