इसके अलावा गांव में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। इसके अलावा 24 घंटे गुजरने के बाद बाबा नारायणदास मोबाइल टॉवर से नहीं उतरे हैं। साथ ही अब साधु-संतों के साथ वार्ता की कोशिश भी नजर नहीं आ रही है। क्योंकि विजय बाबा के आत्मदाह की कोशिश के बाद काफी गुस्सा भी प्रशासन व सरकार के खिलाफ गुस्सा नजर आ रहा है।
बुधवार दोपहर को भरतपुर के संभागीय आयुक्त कार्यालय में साधु-संतों के साथ वार्ता की बात कही जा रही थी, इससे पहले बाबा नारायणदास को मोबाइल टॉवर से नीचे उतारने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन सुबह करीब साढ़े 11 बजे अचानक गांव पसोपा स्थित मंदिर के महंत विजय बाबा ने केरोसिन या अन्य कोई ज्वलनशीन पदार्थ डालकर खुद को आग लगा ली।
आग लगी देखकर वहां मौजूद साधु-संतों ने आग को बुझाया। इसके बाद एंबुलेंस बुलाकर आग से झुलसे बाबा विजय को अस्पताल के लिए रवाना किया। अब विजय बाबा को आरबीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके अलावा जिला कलक्टर आलोक रंजन, एसपी श्यामसिंह, संभागीय आयुक्त सांवरमल वर्मा, आईजी गौरव श्रीवास्तव मौके के लिए रवाना हो गए।
आंदोलन का समीकरण: 16 जनवरी से धरना, फिर याद आई 19 जुलाई
खनन के विरोध में पंसोपा में साधु-संतों के साथ अन्य ग्रामीणों का धरना पिछले 550 दिनों से चल रहा है। 11 जुलाई 2021 को बाबा हरिबोल दास ने अलीपुर में आयोजित सभा के दौरान कफन पहनकर आत्मदाह करने का ऐलान किया था। इस दौरान उन्होंने कफन यात्रा निकाली और 19 जुलाई 2021 को आत्मदाह करने की घोषणा की। 16 जनवरी 2021 से शुरू हुए धरने के दौरान साधु-संतों ने कई बार आसपास गांवों में जनसंपर्क अभियान, पदयात्रा, धरना-प्रदर्शन, ट्रेक्टर रैली, सड़क जाम, अधिकारियों को ज्ञापनए जयपुर में प्रदर्शन, मुख्यमंत्री से वार्ता, कीर्तन, भजन संध्या, पर्वतों की पूजा, भागवत कथा, आमरण अनशन, क्रांति यात्रा तक की, लेकिन आदिबद्री-कनकांचल पर्वतों पर खनन नहीं रूक सका। साधु.संतों ने कहा कि हर वार्ता पर उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला।
सियासी दाव…गहलोत सहित प्रियंका गांधी से भी मिल चुके हैं साधु
अवैध खनन के विरोध में 16 जनवरी 2021 से जारी धरने के दौरान छह अप्रेल 2021 को साधु-संतों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जयुपर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर वार्ता की। 11 सितंबर 2021 को मान मंदिर के कार्यकारी अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री के नेतृत्व मेे प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से भी मुलाकात की। गांधी ने प्रतिनिधिमंडल से अवैध खनन को लेकर सरकार की ओर से आवश्यक कदम उठाने की बात कही।
ये है पूरा माजरा…12 साल से इन पर्वतों में हो रहा खनन
वर्ष 2009 में भी भरतपुर के डीग व कामां तहसील में पड़ रहे ब्रज के धार्मिक पर्वतों को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया गया था, पर उस समय तहसील अंतर होने से ब्रज के प्रमुख पर्वत कनकांचल और आदिबद्री का कुछ हिस्सा संरक्षित वन क्षेत्र होने से छूट गया था। इसके कारण वहां बहुत बड़ी मात्रा में खनन जारी है।
कनकाचल और आदिबद्री पर्वत के क्षेत्र को वन संरक्षित भूमि का दर्जा देने से यहां खनन नहीं हो पाएगा। तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ. हिमांशु गुप्ता ने प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजा था। राज्य सरकार जल्द अधिसूचना जारी कर देगी। बता दें कि 1996 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुसार वन संरक्षित क्षेत्र में खनन प्रतिबंधित है।