समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने कहा कि सात जनवरी को डीग के जनूथर में हुंकार सभा में केंद्र सरकार को 10 दिन का समय दिया गया था। सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। भरतपुर जिले के दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक के पास जयचोली में महापड़ाव डाला गया है। दूसरा महापड़ाव डीग जिले में बेढ़म गांव और तीसरा भरतपुर जिले में रारह में होगा। 100 से अधिक गांवों में जाट समाज के नेताओं को उन्हें महापड़ाव स्थल तक लाने की जिम्मेदारी दी गई है। राज्य व केंद्र सरकार 2017 में भरतपुर में जाट आंदोलन देख चुकी है, इसलिए धैर्य की परीक्षा नहीं लेकर आरक्षण पर निर्णय लिया जाना चाहिए।
2015 में केंद्र ने खत्म किया था आरक्षण
भरतपुर और धौलपुर जिले के जाटों को केंद्र में आरक्षण दिए जाने की मांग वर्ष 1998 से चल रही है। वर्ष 2013 में केंद्र की मनमोहन सरकार ने भरतपुर और धौलपुर जिलों के साथ अन्य 9 राज्यों के जाटों को केंद्र में ओबीसी का आरक्षण दिया था। वर्ष 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तो सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेकर 10 अगस्त 2015 को भरतपुर-धौलपुर के जाटों का केंद्र और राज्य में ओबीसी आरक्षण खत्म कर दिया गया। लंबी लड़ाई लडऩे के बाद 23 अगस्त 2017 को पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार में दोनों जिलों के जाटों को ओबीसी में आरक्षण दिया गया था, लेकिन केंद्र ने यह आरक्षण नहीं दिया।