रिपोर्ट: पर्यावरण को पहुंच रहा नुकसान जांच कर रहे कुछ अधिकारियों ने बताया कि क्लिंकर लोगों के स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो रहा है। क्लिंकर सूखा और गीला दोनों तरीके से लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान कर रहा है। यदि सूखा क्लिंकर फेफड़ों में पहुंच जाता है तो वह फेफड़ों में जमा हो जाता है। इससे अस्थमा और श्वसन संबंधी बीमारियां हो जाती हैं। यदि क्लिंकर शरीर पर जमा हो जाता है और उसे पानी से धोते हैं तो इससे वह क्षारीय होकर चमड़ी को जला देता है। इतना ही नहीं क्लिंकर की वजह से वनस्पतियों पर भी नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है।
जहां भी प्लांट लगाया, वहां से भगाया बताते हैं कि रेलवे यार्ड में यह प्लांट 23 फरवरी 2020 से चालू किया गया। आंदोलन के बाद बढ़ते विरोध को देखते हुए तत्कालीन जिला कलक्टर नथमल डिडेल ने 28 फरवरी 2021 को रोक लगा दी। अब आंदोलन कर रहे लोगों का तर्क है कि एक गिरोह इस प्लांट से जुड़े ठेके आदि लेना चाहता है। वह इस प्लांट को चालू कराने की कोशिश में है। ऐसे में एनजीटी में मामला पहुंचा दिया है। इससे पहले यह प्लांट हिंडौन सिटी में था और उसके बाद अलीगढ़ में संचालित किया गया। वहां भी ऐसी स्थिति सामने आने के बाद प्रशासन ने बंदा करा दिया और इन्हें वहां से भागना पड़ा।
हकीकत जाननी है, सुनिए इनकी पीड़ा -क्लिंकर लोडिंग व अनलोडिंग से कई कॉलोनी प्रभावित है। प्रशासन की ओर से जांच कराने के लिए टीम भेजी गई तो संबंधित ठेकेदार या कंपनी ने चारों ओर त्रिपाल लगा दिया। अगर जांच होगी तो सच सामने ही नहीं आएगा। यह त्रिपाल कितने दिन लगा रहेगा। यह प्लांट यहां से हटाना चाहिए।
सत्यभान, अधिवक्ता रूंधिया नगर -सांस लेने में काफी समस्या हो रही है। सांस का इलाज चल रहा है। हमारे बच्चे बीमार हैं। अगर प्रशासन की ओर से इसे अन्य जगह स्थानांतरण नहीं किया गया तो हम आंदोलन करेंगे।
कृष्ण मुरारी, रूंधिया नगर -क्लिंकर लगने के बाद दमा एवं सांस की बीमारी हो गई है। शीघ्र यहां से हटाया नहीं गया तो आंदोलन करेंगे। यह हमारी आगे आने वाली पीढ़ी के लिए भी नुकसानदायक है।
विद्यासागर, माल गोदाम रोड -जब से क्लिंकर शुरू हुआ है तब से सांस की बीमारी है। कई बार चिकित्सकों को दिखा लिया लेकिन काफी समस्या हो रही है। शंकर, रूंधिया नगर
-क्लिंकर प्लांट से चर्म रोग हो गया है। प्रशासन को जल्द से जल्द यहां से हटाना चाहिए।
तेज सिंह, रूंधिया नगर