स आसन को नियमित करने से मोटापा नियंत्रित रहता है। पेट व पाचन तंत्र सही रहता है। रीढ़ की हड्डी, पैर, सुडौल शरीर के साथ मांसपेशियां मजबूत होती हैं। शरीर में कसावट आने के साथ त्वचा की सुंदरता बढ़ती है। एक बार में पांच से छह बार हस्तपादासन का अभ्यास कर सकते हैं। स्पाइन, हर्निया, हृदय, बीपी, अल्सर और चक्कर की समस्या है तो इसे करने से बचें।
शवासन की मुद्रा में लेट जाएं। कमर को ऊपर उठाते हुए पैरों को सिर के पीछे ले जाएं। पैर के पंजे बाहर की ओर निकालकर रखें। सांस छोड़ दें। धीरे-धीरे कमर को नीचे लाकर अर्ध हलासन की मुद्रा में आएं फिर शवासन में आ जाएं। नियमित करने से पेट की चर्बी कम होती है। थायरॉइड में आराम मिलता है और कई तरह के दूसरे रोग नहीं होते हैं।
तीन से चार बार करना चाहिए। उदर, दमा, कमरदर्द, थायरॉइड, मधुमेह, श्वास रोग में आराम मिलता है। आंखों की रोशनी बढ़ती है। गला साफ रहता है। छाती और पेट संबंधी रोग में लाभदायक है। गर्भाशय, जननांगो की तकलीफ से बचाता है। पेट और गर्दन की चर्बी कम होती है। चेहरे पर चमक आती है। घुटनों में दर्द, बीपी, स्लिप Disk है तो इसे न करें। योग करने से पहले इसका तरीका जान लें।
सर्वांगासन से वजन कम होता है। दुर्बलता खत्म होने के साथ थकान नहीं रहती है। पीठ मजबूत होती है और अपच व कब्ज की समस्या में आराम मिलता है। थायरॉइड ग्रंथि की वृद्धि, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और हृदय रोगी इसे न करें।