सभी को जैन संस्कार विधि अपनाने की प्रेरणा दी। मुनि सुपाश्र्वकुमार ने गीतिका महावीर प्रभु के चरणों में का गायन किया। मुनि स्वस्तिककुमार ने परिवार में हम किस तरह इन संस्कारों को अपना सकते हैं, पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि जैन संस्कार विधि सिर्फ अपनी ही नहीं जन-जन की विधि बने इस बारे में हमें प्रयत्न करना चाहिए। परिवार में कोई भी प्रकार का कार्य हो उसमें हमारी प्राथमिकता जैन संस्कार विधि रहे। मूर्तिपूजक मुनिराज सुमति सागर ने कार्यक्रम का अवलोकन किया।
आभार ज्ञापित तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष संदीप गोलेछा ने किया।