जिन किसानों ने देशी बेर के पौधों की कटाई छंटाई की है, वे जुलाई व अगस्त में बडिंग कर सकते हंै। गोला, सेव एवं थाईऐप्पल बेरका प्रयोग कर अधिक लाभ कमा सकते हैं। डॉ. कुमार ने कहा कि किसान को जल संरक्षण के लिए अपने घर का पानी घर में, खेत का पानी खेत में व गांव का पानी गांव में रहे,एेसा कार्य करना चाहिए। केन्द्र के पादप संरक्षण विशेषज्ञ एस.एल.कांटवा ने कहा कि किसानों को क्षेत्र के अनुसार बुवाई हेतु बीज का चुनाव इस प्रकार करना चाहिए जो रोग रोधी, कम समय में पकने वाली, सूखा सहन करने वाला,अधिक उत्पादन देने वाला हो। बाजरे की एमपीएमएच-17, एचएचबी -67, मोठ की आरएमओ- 435, आरएमओ- 251, मूंग की जीएम-4, जीएएम-5, शिखा, एसएमएल-668 व तिल की आरटी-127, आरटी-351, आरटी-346 (चेतक) आदि किस्मों की बुवाई करनी चाहिए।
पशुपालन विशेषज्ञ बी.एल.डांगी ने बताया कि खरीफ फसलों की बुवाई के साथ पशुओं के लिए हरे चारे के लिए बाजरा, ज्वार आदि की बुवाई करनी चाहिए।