8वीं पास, 10KM. दूर बैलगाड़ी से पानी लाती थीं रूमा देवी, अब राजस्थान समेत पूरे देश का नाम कर रही हैं रोशन
Barmer’s Ruma Devi in KBC with Amitabh Bachchan : Rajasthan के छोटे से गांव की रूमा देवी की आज हर तरफ चर्चा है। राष्ट्रपति के हाथों ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ ( ruma devi nari shakti puraskar ) लेने वाली रूमा देवी अब 20 सितंबर को ‘कौन बनेगा करोड़पति ( Ruma Devi KBC ) शो में दिखेंगी। आइए आपको बताते हैं रूमा देवी की सफलता के पीछे का संघर्ष ( Ruma Devi Life Story ) …
8वीं पास, 10KM. दूर बैलगाड़ी से पानी लाती थीं रूमा देवी, अब राजस्थान समेत पूरे देश का नाम कर रही हैं रोशन
बाड़मेर। कुछ कर गुजरने की चाह हो तो नामुमकिन काम भी मुमकिन हो जाता है। बस आपके काम करने की प्रेरणा और संकल्प मज़बूत हो। ऐसा ही मजबूत संकल्प लिए हजारों-लाखों लोगों की प्रेरणा बनी राजस्थान के बाड़मेर के छोटे से गांव की रूमा देवी ( Ruma Devi ) की आज हर तरफ चर्चा है। हाल ही चर्चा का विषय है राष्ट्रपति के हाथों ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ ( Nari Shakti Puraskar ) लेने वाली रूमा देवी अब 20 सितंबर को ‘कौन बनेगा करोड़पति ( KBC ) शो में दिखेंगी।
KBC में भी दिखेंगी रूमा ( Barmer’s Ruma Devi in KBC )
रूमा हाल ही में केबीसी का हिस्सा बनी हैं। शो के दौरान अमिताभ बच्चन ( Amitabh Bachchan ) भी उनकी कहानी सुनकर प्रभावित हुए। वहीं। केबीसी शो में भाग लेकर मुंबई से लौटी रूमा देवी का उनके पैतृक गांव सांगाणा कुआं में जोरदार स्वागत किया। बता दें कि रूमा देवी कौन बनेगा करोड़पति शो में 20 सितंबर को कर्मवीर में दिखाई देंगी।
एक घटना ने बदल दिया पूरा जीवन ( Life Story of Ruma Devi )
रूमा देवी का शुरुआती जीवन बेहद कठिनाइयों और संघर्ष में बीता…पांच साल की उम्र में मां की मौत, पढ़ाई भी जल्दी ही छूट गई और घर के काम काज में जुट गई। यहां तक की वह लगभग दस किलोमीटर दूर से पानी भरकर बैलगाड़ी से घर तक लाती थीं।
वहीं, रूमा देवी की शादी भी 17 साल की उम्र में ही हो गई और फिर ससुराल की जिम्मेदारी। एक घटना ने रुमा देवी के जीवन को बदल दिया। पैसे के अभाव में इलाज नहीं मिलने पर डेढ़ साल के बेटे को खोने के गम ने रुमा देवी को एक तरफ तोड़ दिया तो दूसरी तरफ कुछ बड़ा करने की प्ररेणा दी।
वहीं, सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि रूमा की जगह अगर कोई और होता तो शायद इन्हीं उलझनों में उलझ कर रह जाता। लेकिन फिर भी Ruma उठ खड़ी हुई। इन्हीं सबसे प्रेरणा ली और हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया।
75 गांवों की महिलाओं को दिलाया रोजगार
रूमा देवी ने दूसरों के परिवार के लिए कुछ करने की ठानी और दादी के सिखाए हुनर को आजमाने की सोची, हस्तशिल्प ( Embroidery ) के काम को शुरू किया। महिलाओं को जोड़ा और अपने काम को विदेशों तक पहुंचा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
बाड़मेर की रूमा देवी भली ही आठवीं पढ़ी हैं, लेकिन आज बाड़मेर के मंगला की बेड़ी गांव सहित तीन जिलों के 75 गांव की 22000 महिलाओं को आत्मनिर्भर बना चुकी हैं। आपको बता दें कि रुमा देवी ने ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान के माध्यम से बाड़मेर जिले में हस्तशिल्प का कार्य करने वाली हजारों महिला दस्तकारों को सशक्त करने का कार्य किया है। दूर दराज ढाणीयो में जाकर इन्होने ख़त्म हो रही एप्लीक एंब्रोडरी कला को नवाचार के माध्यम से पुनर्जीवित कर यह कार्य करने वाली हजारों महिला दस्तकारों के जीवन में खुशियों भर दी है। उनके कौशल को उन्नत तकनीकी प्रदान की है, जिससे आज हजारों परिवारों की जिंदगी संवर गई।
राष्ट्रपति दे चुके हैं पुरस्कार, देश-विदेश में बनी पहचान
कहलाने को आठवीं पास रूमा देवी ने अपने उल्लेखनीय कार्यों के लिए कई राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार व सम्मान पाकर राजस्थान और पूरे देश का नाम रोशन किया है। रूमा देवी को 2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ( President Ramnath Kovind ) ने नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा था। इसी के साथ लंदन, जर्मनी, सिंगापुर और कोलंबो के फैशन वीक्स में भी उनके उत्पादों का प्रदर्शन हो चुका है।
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