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बाड़मेर

बारिश की कमी से चिंता में डूबे पशुपालक

चारे-पानी के संकट की आशंका

बाड़मेरAug 18, 2021 / 01:13 am

Dilip dave

बारिश की कमी से चिंता में डूबे पशुपालक

बारिश की कमी से चिंता में डूबे पशुपालक

बाड़मेर. थार में इन्द्रदेव के रूठने से चहुंओर चिंता की लकीरें नजर आने लगी है। एक तरफ जहां खड़ी फसलें जलने लगी है तो दूसरी तरफ अधिकांश गांवों में पहली बारिश का इंतजार है। वहीं, सबसे ज्यादा चिंता पशुधन को बचाने की है। बारिश नहीं होने से चारे का संकट पैदा हो चुका है तो तालाब-नाडिया खाली होने से पेयजल प्रबंध पशुपालकों के लिए मुश्किल हो गया है। सूखे चारे के भाव अभी से आसमान छू रहे हैं।
सीमावर्ती जिले बाड़मेर की आजीविका खेती और पशुपालन पर आधारित है। जिले में करीब १९ लाख हैक्टेयर में खरीफ की बुवाई होती है तो ५४ लाख से ज्यादा यहां पशुधन है। बारिश पर आधारित खेती और पशुपालन को लेकर अब चिंता नजर आने लगी है, क्योंकि जिले में चौमासा(मानसून) के तीन माह पूरे होने वाले हैं और पर्याप्त बारिश का अभाव ही है।
स्थिति यह है कि जिले के करीब तीन हजार राजस्व गांवों में से अधिकांश में बरसात नहीं हुई है। जिन गिने चुने गांवों में हुई है वहां दूसरी बारिश नहीं होने से खड़ी फसलें जल रही है तो कई जगह बुवाई तक नहीं हुई। पशुधन को कैसे पालें- जिले में करीब ५४ लाख पशुधन है। इसमें से २९. ४६ लाख बकरियां व १४ लाख से ज्यादा भेड़ेें हैं।
वहीं नौ लाख पांच हजार, भैंस दो लाख बाइस हजार है। इनके अलावा भी अन्य पशुधन है। इन पशुधन को पालने के लिए पशुपालक खरीफ की बुवाई और मानसूनी बारिश पर निर्भर है। बारिश होने पर हरा चारा मिल जाता है तो बाजरा की उपज पर सूखा चारा ( कुत्तर) मिल जाती है। नाडियों व तालाबों में बारह माह का पानी आ जाता है। इस पर पूरे साल की चिंता मिल जाती है लेकिन इस बार मेह की मेहरबानी नहीं होने से स्थिति खराब है। पशुपालक चिंतित है कि पशुधन को कैसे पालेंगे।
चारे के भाव में दिनोंदिन बढ़ोतरी- वर्तमान में चारे के भावों में बारिश नहीं होने से बढ़ोतरी हो रही है। जिले में सूखा चारा जो स्टाक में किसानों के पास है वह खत्म होता जा रहा है। नहरी इलाकों विशेषकर श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर आदि क्षेत्र से चारा आता है जो तुड़ी है। एेसे में कुत्तर नहीं मिल रही। तुड़ी के भाव भी पन्द्रह-बीस रुपए किलो है। आगामी दिनों में इसमें ओर बढ़ोतरी की आशंका है। एक गाय को पालने पर साल का पचास हजार रुपए का चारा- दाला खर्च होता है।
पानी नहीं होने बीस-तीस हजार रुपए पानी के टैंकरों पर खर्च होंगे जिसको लेकर किसान अभी भी चिंता जता रहे हैं।

पशुशिविर व चारा डिपो ही होंगे सहारा- अमूमन स्थिति विकट होने पर सरकार की ओर से चारा डिपो और पशुशिविर खोल कर राहत दी जाती है। हालांकि अभी तक एक माह में बारिश होने की उम्मीद है। अब किसान व पशुपालक दुआ यही कर रहे हैं कि पशुओं को भाग्य की बारिश हो जाए तो कम से कम चारे पानी की तो चिंता मिट जाए।
कमर टूट जाएगी- अभी भी चारे के भाव आसमान छूने लगे हैं। आगामी दिनों में बारिश नहीं हुई तो अकाल की स्थिति हो जाएगी जिस पर चारा और भी महंगा होगा। एक गाय को पालने पर पूरे साल में अस्सी हजार का खर्चा आ जाएगा। एेेसे में पशुधन का बचाना मुश्किल होगा। अब तो भगवान से अरदास है कि बारिश कर दे जिससे कम से कम पशुधन को बच जाए।- रतनसिंह, हापों की ढाणी
हालात खराब हो रहे- बारिश नहीं होने से हालात खराब हो रहे हैं। किसान वैसे भी कोरोना के चलते आर्थिक दृष्टि से टूट चुके हैं, एेसे में बारिश नहीं होने से चारे-पानी की किल्लत उनको बर्बाद कर देगी। अब तो भगवान से प्रार्थना है कि गायों के भाग्य की ही बारिश हो जाए।– अचलाराम चौधरी, भिंयाड़ अभी भी बारिश की उम्मीद- हालांकि इस बार जिले में बारिश कम हुई है जिससे चिंता बढ़ गई है। फिर भी उम्मीद है कि आने वाले दिनों बारिश होगी जिस पर चारे-पानी का संकट हल हो सकता है।- डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक केवीके गुड़ामालानी

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