55 हजार मदरसे से जुड़े हुए उलेमाओं ने अपने मुल्क पर जान न्यौछावर की: मौलाना
मौलाना शहाबुद्दीन ने मदरसों के ऐतिहासिक योगदान को याद करते हुए कहा कि उनको सोचना और समझना चाहिए कि ये वही मदरसे हैं जिन मदरसों पर वह ‘जश्न ए जम्हूरियत’ ना मानने का इल्जाम लगा रहे हैं। ये वही मदरसे हैं जिन्होंने 1857 से 1947 तक भारत की आजादी की लड़ाई में अहम किरदार निभाया है। तन के गोरे और मन के कालों को सात समंदर पार भेजने में इन मदरसों से जुड़े हुए उलेमाओं और इसमें पढ़े हुए छात्रों ने हिंदुस्तान की आजादी के लिए अहम भूमिका अदा की। तारीख बताती है तकरीबन 55000 मदरसे से जुड़े हुए उलेमाओं ने अपने मुल्क पर अपनी जान न्यौछावर की और कुर्बानी पेश की।
बाबा धीरेंद्र शास्त्री को न्योता, खुद मदरसों में जाकर देखें
धीरेंद्र शास्त्री ने गणतंत्र दिवस समारोह से मुसलमानों के दूर रहने का आरोप लगाया इसके बाद मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने धीरेंद्र शास्त्री को आने का न्योता देते हुए कहा कि इन तमाम चीजों को बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र शास्त्री नकार रहे हैं। इनको इतिहास पढ़ना चाहिए। इनको पता करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी मदरसे में आकर देखें कि 26 जनवरी को हम ‘जश्न ए जम्हूरियत’ मना रहे हैं। यहां 26 जनवरी का जश्न धूमधाम से मनाया जाता है और शान से तिरंगा फहराया जाता है।