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बारां

देशी-विदेशी पर्यटकों को आज भी लुभाती है जिले में चहुंओर बिखरी पुरासम्पदा

शाहबाद एवं किशनगंज तहसील में सहरिया आदिम जनजाति की विशिष्ट लोक-संस्कृति हैं। यहां सहरिया युगल नृत्य इसकी एक झलक प्रस्तुत करता हैं।

बारांSep 27, 2024 / 12:07 pm

mukesh gour

शाहबाद एवं किशनगंज तहसील में सहरिया आदिम जनजाति की विशिष्ट लोक-संस्कृति हैं। यहां सहरिया युगल नृत्य इसकी एक झलक प्रस्तुत करता हैं।

शाहबाद एवं किशनगंज तहसील में सहरिया आदिम जनजाति की विशिष्ट लोक-संस्कृति हैं। यहां सहरिया युगल नृत्य इसकी एक झलक प्रस्तुत करता हैं।

विश्व पर्यटन दिवस आज

world tourist day : बारां. जिला पर्यटन की ²ष्टि से समृद्ध जिला है। जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए समय समय पर राज्य सरकार तथा विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रयास भी किए जाते रहे हैं। जिले में रामगढ़ क्रेटर समेत विभिन्न क्षेत्रों में पुरासम्पदा मौजूद है।
इसमें ऐतिहासिक रामगढ़ का भण्डदेवरा, बिलासगढ़ स्थित चारखंबा छतरी, छीपाचांदनी महल, काकोनी स्थित सहस्त्र ​शिवलिंग, किशनगंज के बांसथूनी स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर तथा शाहाबाद तथा शेरगढ़ के ऐतिहासिक किले व फैली हुई पुरा सम्पदा समेत बरसात में प्राकृतिक नजारे को समेटे कुण्डाखोह, भडक़ा प्रपात, कपिलधारा, सीताबाड़ी के ऐतिहासिक धार्मिक कुण्ड मौजूद है, जो पर्यटको को आकर्षित करते हैं।
राजकीय संग्रहालय में इतिहास का खजाना
पुरानी सिविल लाइन्स क्षेत्र स्थित राजकीय संग्रहाल जो कि विभिन्न प्राचीन प्रतिमाओं समेत ऐतिहासिक वस्तुओं से भरा हुआ है। संग्रहालय के सहायक प्रशासनिक अधिकारी संदीप ङ्क्षसह जादौन ने बताया कि संग्रहालय का उद्घाटन 20 अगस्त 2020 के पश्चात पर्यटकों एवं आमजन के लिए खोल दिया गया था। संग्रहालय में जिले की पुरासंपदा को सहेज कर रखा गया। संग्रहालय मे विभिन्न स्थानों से प्राप्त पुरा सामग्री को प्रदर्शित किया गया है। इसमे 39 पाषाण प्रतिमाएं, 42 लघु चित्र, 84 अस्त्र.शस्त्र, 148 सज्जा-कला वस्तुएं एवं लोक संस्कृति से संबंधित 27 डायरामार्ज प्रदर्शित हैं। संग्रहालय में पाषाण प्रतिमा में 9-12वी शताब्दी की प्रस्तर प्रतिमाएं विषयवार प्रदर्शित हैं। यह बारां जिले के अटरू, बिलासगढ़, केलवाड़ा, काकूनी, रामगढ़, शेरगढ़ एवं बडोरा से अवाप्त हैं। सज्जा कला दीर्घा मे 19वीं सदी में निर्मित विभिन्न कला वस्तुओं को विषयवार संयोजित किया गया हैं। बीकानेर के उस्ता परिवार के लोगों ने कांच, काष्ठ पाषाण एवं धातु निर्मित वस्तुओं पर लाक्षा अलंकरण का अभिनव प्रयोग किया हैं। चित्रकला दीर्घा में 19वीं में निर्मित बूूंंदी शैली के बारहमासा के लघुचित्रों को संयोजित किया गया हैं। इन लघुचित्रों में मास की विशिष्टता के अनुसार नायक-नायिका अथवा राधा-कृष्ण के क्रियाकलापों और मनोभावों का आलेखन है। शाहबाद एवं किशनगंज तहसील में सहरिया आदिम जनजाति की विशिष्ट लोक-संस्कृति हैं। यहां सहरिया युगल नृत्य इसकी एक झलक प्रस्तुत करता हैं। वहीं संग्रहालय में अस्त्र-शस्त्र दीर्घा में प्रारंभ मे तीर व तलवारों को स्थान दिया गया है तथा अन्य शोकेस मे विभिन्न प्रकार के पेशकब्ज, कटार, छुरियां, ढाल एवं बंदूकों को भी प्रदर्शित किया गया हैं। कुछ हथियारों में रजत का कार्य द्रष्टव्य है।
आज निशुल्क प्रवेश
म्यूजियम प्रभारी संदीप ङ्क्षसह ने बताया कि पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग राजस्थान जयपुर से प्राप्त आदेशानुसार 27 सितंबर शुक्रवार को विश्व पर्यटन दिवस पर राजकीय संग्रहालय बारां में प्रात: 9.45 बजे से सांय 5.15 बजे तक पर्यटकों व आमजन का प्रवेश निशुल्क रहेगा।

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