70 बेड वाले छबड़ा अस्पताल में कुल 25 पद चिकित्सकों के सृजित हैं। वर्तमान में 14 चिकित्सकों की तैनाती की हुई है। 11 चिकित्सकों की जगह रिक्त चल रही है। ऐसे में मरीजों व तीमारदारों को परेशानी के साथ अधिक धन खर्च करना पड़ रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा रही है। ऐसे में मरीज निजी अस्पतालों का दरवाजा खटखटाते हैं और भारी-भरकम रकम देकर जेब खाली करने को बेबस होते हैं। यही हाल ग्रामीण क्षेत्र की पीएचसी का भी है। यहां भी चिकित्सकों की कमी के चलते लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है।
चिकित्सालय में लगी डिजिटल मशीन पिछले लंबे समय से खराब पड़ी है। जिसे सुधारने के लिए इंजीनियर बुलाया गया था। जिसने मशीन ठीक नही होने की बात कहीं। डॉ. गोयल ने चिकित्सालय में नई डिजिटल एक्स-रे मशीन के लिए विधायक सिंघवी को पत्र प्रेषित कर रखा है।
स्थानीय चिकित्सालय में डायलिसिस मशीन नही होने से मरीजो को काफी खर्चा कर बारां, कोटा जाना पड़ता था। विधायक प्रतापसिंह सिंघवी ने पूर्व में विधायक कोष से एक डायलिसिस दिलवाई थी। जनवरी माह में चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरिओम गोयल द्वारा विधायक सिंघवी को पत्र लिखकर डिजिटल एक्सरे मशीन, डायलिसिस मशीन, डेन्टल चेयर आदि की व्यवस्था किए जाने की मांग की थी। इस पर चिकित्सा विभाग की ओर से छबड़ा में दो डायलिसिस मशीन उपलब्ध करवाई गई हैं। अब चिकित्सालय में तीन मशीनें होने से लोगो के लिए डायलिसिस करवाना आसान हो गया हैं।
हाड़ौती में लहसुन की बम्पर पैदावर, भाव औंधे मुंह गिरे, किसान मायूस
बीसीएमओ डॉ. महेश भूटानी ने बताया कि छबड़ा चिकित्सालय में शिशु रोग, फिजिशियन, दंत रोग, महिला रोग, निश्चेतन रोग के विशेषज्ञ चिकित्सक हैं। यहां अस्थि रोग, नाक-कान-गला रोग व सर्जरी विशेषज्ञ के पद लंबे अरसे से रिक्त चल रहे हैं। उन्होने विधायक प्रतापसिंह सिंघवी को पत्र जारी कर इन चिकित्सको की व्यवस्था करवाए जाने की मांग की हैं।
भाजपा महामंत्री हरिओम गौड़ ने बताया कि छबड़ा चिकित्सालय में महिला रोग विशेषज्ञ होने के बावजूद डिलेवरी के नाम पर महिलाओं को बारां, कोटा रैफर किया जाता हैं। यहां कार्यरत चिकित्सक शायद ऑपरेशन करने से डरते है। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है।