ऐसा है ठगी का तरीका ठग नकली यूपीआई एप से क्यूआर कोड स्कैन करते हैं। पेमेंट कर फर्जी स्क्रीन शॉट दिखाते हैं। इसमें फेक ऐप में पेमेंट के बाद साउंड नोटिफिकेशन भी आता है, इससे यह असली प्रतीत होता हैं। इससे छोटे व्यापारी ओर दुकानदार यह समझ बैठते हैं कि पेमेंट हो गया है। इस प्रकार से वे आसानी से ठगी का शिकार हो जाते हैं।
ऐसे करें की पहचान सबसे पहले खुद से ही पेमेंट वेरिफाई करना चाहिए। अपने यूपीआई एप या बैंक स्टेटमेंट के जरिए चेक करें कि पेमेंट आया हे या नहीं। हर ट्रांजेक्शन की नोटिफिकेशन चालू रखे। यदि आपको कोई भी पेमेंट को लेकर संदेह होता है या आप किसी साइबर फ्रॉड का शिकार हो चुके हों तो तुरंत 1930 पर कॉल करें। इसके अलावा आप भारत सरकार के राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एचटीटीपी:/साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन ) पर भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
एक्सपर्ट कमेंट : सावधानी जरूरी देश के टॉप साइबर सुरक्षा शोधकर्ताओं में शामिल एनसीआईआईपीसी (नेशनल क्रिटिकल इनफॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर) के जगत ङ्क्षसह बताते है कि सरकार और पेमेंट कंपनियां सुरक्षा मजबूत कर रही हैं। जागरूकता से ही धोखाधड़ी से बचा जा सकता है। डिजिटल लेनदेन सुरक्षित बनाने के लिए हमें सावधानियां बरतनी होगी। साइबर अपराधी आमतौर पर उन लोगों को निशाना बनाते हैं, जो डिजिटल पेमेंट का कम अनुभव रखते है। फेक ऐप असली जैसे ही होते हैं। इनमें अंतर कर पाना बेहद मुश्किल होता है। क्यूआर कोड स्कैन करते ही पता चल जाता है। साइबर ठग इसका स्क्रीन शॉट लेकर भी भेज देते हैं। इससे से आपको लगेगा कि पेमेंट हो गया, लेकिन यह सिर्फ स्क्रीन शॉट तक ही सीमित रहेगा। बैंक खाते में इसका पैसा नहीं जाएगा। अमूमन दुकानदार रोज इसकी हिस्ट्री चैक नहीं करते हैं।
पैसे ट्रांसफर करने वालों के डमी एप बन जाते हैं। यह पैसे को सक्सेसफुली ट्रांसफर दिखा देते हैं, लेकिन असल में पैसा ट्रांसफर नहीं होता है। इसके लिए जागरुकता बहुत जरूरी है। जब तक बैंक खाते में पैसा नहीं आ जाए, तब तक उसे सही नहीं मानें। हालांकि यहां अभी ऐसी शिकायतें नहीं हैं, लेकिन डिजिटल पेमेंट लेते समय सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।
राजकुमार चौधरी, पुलिस अधीक्षक, बारां