इससे संरक्षित वन क्षेत्र की जैव विविधता नष्ट हो जाएगी। वन्यजीवों पर संकट खड़ा होगा। साथ ही सुरम्य और सघन वन आच्छादित घाटी का वैभव भी इतिहास बनने की आशंका है। जबकि, राज्य सरकार ने दो साल पहले ही शाहाबाद के 17 हजार 884 हेक्टेयर क्षेत्र को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया था।
निजी क्षेत्र की कंपनी ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से शाहाबाद के हनुमंतखेड़ा, मुंगावली में 1800 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए पम्प स्टोरेज परियोजना के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। परियोजना में क्षेत्र की करीब 700 हेक्टेयर भूमि का उपयोग किया जा रहा है। इसमें से 400 हेक्टेयर वन भूमि है। केन्द्र सरकार की वन सलाहकार समिति (एफएसी) ने सैद्धांतिक तौर पर 400 हेक्टेयर वन भूमि पर मार्च 2025 तक पेड़ों को काटे जाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी। इस प्रस्ताव का केन्द्रीय वन और पर्यावरण मंत्री ने भी अनुमोदन कर दिया है।
पानी होगा स्टोरेज, फिर बनेगी बिजली
यहां की अनुकूल भौगोलिक स्थिति को देखते हुए
बिजली बनाने के लिए चयन किया गया है। यह पहाड़ी क्षेत्र है और पास ही कूनू नदी भी है। ऐसे में निचले और ऊंचाई वाले क्षेत्र में दो तालाब बनाए जाएंगे। पानी को पहले ऊपर वाले
तालाब में भरा जाएगा। जब भी बिजली उत्पादन करना होगा, तब वहां से पानी को नीचे लाएंगे और टरबाइन के जरिए बिजली बनेगी।
प्रक्रिया चल रही
निजी कंपनी पंप स्टोरेज प्लांट लगाएगी। इसके लिए करीब 700 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। इसमें से करीब 400 हेक्टेयर वनभूमि है। प्रोजेक्ट के लिए एक लाख से अधिक पेड़ काटना प्रस्तावित है। फिलहाल सरकार के स्तर पर इसकी प्रक्रिया चल रही है। - आरके खैरवा, मुख्य वन संरक्षक, कोटा
कोर्ट जाएंगे
एक लाख से ज्यादा पेड़ काटने की अनुमति को तत्काल निरस्त किया जाए। यह क्षेत्र जड़ी बूटियों और वन्यजीवों के लिए जाना जाता है। विकास होना चाहिए, परन्तु पेड़ों की बलि देकर नहीं। सरकार ने निर्णय नहीं बदला तो हम अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।