किशनगढ़ में बीते कुछ वर्षों में मार्बल की बड़ी यूनिट बढ़ी हैं। इसके चलते मार्बल व ग्रेनाइट काटने की क्षमता बढ़ रही है। वर्ष 2015-16 से मार्बल व ग्रेनाइट का व्यापार लगातार गिर रहा था। वर्ष 2017-18 में मार्बल व ग्रेनाइट का लदान 307 ट्रक से घटकर 221 ट्रक प्रतिदिन तक पहुंच गया। इसके बाद मार्बल एसोसिएशन के प्रयासों से बीते पांच साल से ग्रेनाइट व मार्बल की बिक्री लगातार बढ़ रही है। इसके चलते अब यह डिमांड 371 ट्रक प्रतिदिन पर पहुंच गई है। उल्लेखनीय है कि एक गाड़ी में करीब 8 हजार फीट माल आता है।
इस साल मार्बल का सबसे अधिक लदान फरवरी में 414 ट्रक प्रतिदिन रहा। सितम्बर- 2022 में 431 ट्रक प्रतिदिन का औसत रहा। लागत कम करने, मुनाफा कम रख अधिक लदान पर फोकस है। बड़ी बिल्डिंग के लिए ग्रेनाइट की डिमांड बढ़ी है, क्योंकि इसकी मजबूती और लाइफ दोनों ज्यादा हैं। विभिन्न प्रदेशों में गोदाम भी काफी खुले हैं।
सुधीर जैन, अध्यक्ष, किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन
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दूसरे राज्यों में बढ़ रही मांग
ग्रेनाइट उद्यमी व सिलोरा एसोसिएशन के सचिव दिवाकर दाधीच के अनुसार उद्यमियों का मुनाफा भी कम रख मात्रा पर फोकस है। बड़ी डिमांड में 50 पैसे से ही लाखों का अंतर आ जाता है। अन्य राज्यों में ग्रेनाइट व मार्बल के गोदाम भी खोले। इससे दूसरे राज्यों से डिमांड बढ़ी है।