उच्च न्यायालय ने कहा, 22 साल तक एक जोड़े के रूप में साथ रहने के बाद आप बलात्कार का आरोप लगाते हैं। क्या आरोप में निष्पक्षता की कोई झलक है? 22 साल… एक या दो साल नहीं। 22 साल बाद, शादी के झूठे वादे पर धारा 376, 417, 420 (आईपीसी की) के तहत मामला दर्ज किया जाता है। आरोप पत्र दायर किया जाता है। आप उसके साथ रह रहे थे। पहली नजर में यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
इसलिए, अदालत ने सतीश नामक व्यक्ति के खिलाफ़ प्राथमिकी (एफआईआर) और परिणामी कार्यवाही को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आगे की कार्यवाही की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। शिकायतकर्ता और आरोपी की मुलाकात 2002 में बेंगलूरु में हुई थी और उसके तुरंत बाद ही वे एक रिश्ते में बंध गए।
शिकायत के अनुसार, आरोपी उसे सभी के सामने अपनी पत्नी के रूप में पेश करता था और दोनों तब से साथ रह रहे थे, जब आरोपी ने उससे शादी करने का वादा किया था। हालांकि, इस साल की शुरुआत में आरोपी अपने पैतृक स्थान चला गया और वहां दूसरी महिला से शादी करने का फैसला किया।
इसके बाद शिकायतकर्ता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद आरोपी के खिलाफ बलात्कार और धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई। हाई कोर्ट ने कहा कि यह एक प्रेरित मामला था, जिसमें 22 साल के रिश्ते में खटास आने के बाद बलात्कार की शिकायत की गई। इस साल जुलाई में न्यायाधीश नागप्रसन्ना ने मामले में अंतरिम रोक भी लगाई थी।
उस समय उन्होंने कहा था, यह मामला एक बेहतरीन उदाहरण है, जो बताता है कि कानून का दुरुपयोग कैसे हो सकता है। याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता के बीच 22 साल से रिश्ता है। 22 साल के रिश्ते के बाद जब संबंध खराब हो जाते हैं, तो इसे बलात्कार का अपराध माना जाता है।
प्रथम दृष्टया, इस मामले में किसी भी तरह की कार्यवाही की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इसलिए, आगे की सभी कार्यवाही पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश दिया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर और संबंधित कार्यवाही को रद्द कर दिया और मामले का निपटारा कर दिया।