जर्जर भवनों का हुआ कायाकल्प बागपत जिलाधिकारी ऋषिरेंद्र की मानें तो जनपद भर में आॅपरेशन कायाकल्प उन स्कूलों के लिए एक ऐसा वरदान साबित हुआ है, जो या तो जर्जर थे या बैठने लायक भी नहीं थे। सरकार की पहल पर प्रशासनिक अधिकारियों ने इसमें सहयोग किया है। ग्राम पंचायत स्तर पर जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों को दी गई है। सबसे अहम जिम्मेदारी इसमें सरकारी विद्यालयों के अध्यापकों की होती है, जो बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर देश के निर्माण में सहायक होते हैं।
पत्रिका की टीम ने लिया जायजा जब पत्रिका की टीम ने बागपत में कुछ स्कूलों का दौरा किया तो कहानी बदली ही नजर आई है। खेकड़ा ब्लाॅक के उच्च प्राथमिक विद्यालय का नजारा बच्चों को ही नहीं, हमें भी प्रभावित कर रहा था। स्कूल का सुंदर वातावरण मन मोह रहा था। वहीं, बागपत ब्लाॅक के सिसाना गांव में जब टीम पहुंचीं तो वहां की वाॅल पेंटिंग और बच्चों के बैठने की व्यवस्था भी बहुत अच्छी थी। हालांकि, यहां पर बच्चों की संख्या अधिक थी और स्कूल का क्षेत्रफल कम था। यहां पर बच्चे खसरा रुबैला की रैली निकाल रहे थे। इसके बाद टीम ने जनपद के बिनौली ब्लाॅक स्थित बरनावा गांव के माॅडल विद्यालय का जायजा लिया। जैसा नाम वैसा काम, यहां पर बच्चे लैपटाॅप पर खसरा रुबैला की जानकारी ले रहे थे।
बच्चों को हाईटेक शिक्षा देने का हो रहा प्रयास अध्यापिका शालू सिंह ने बताया कि यहां पर बच्चों कोे हाईटेक शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे बच्चों की जिज्ञासा बढ़े और बच्चे अधिक से अधिक स्कूल तक पहुंचें। यूपी के हाईटेक होते ये स्कूल शिक्षा पर प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे आने वाले समय में सरकार विद्यालयों का रुतबा बढ़ेगा और दिल्ली की तर्ज पर यह पर दाखिले किये जाऐंगे।