अब दूसरे चरण की खुदार्इ में पुरावशेषों को तलाशने के साथ-साथ मानव बस्ती को तलाशने का काम भी पुरातत्व विभाग ने शुरू कर दिया है। पुरातत्वविदों के साथ पुरातत्व विज्ञान के 15 शोधार्थियों की टीम भी उत्खनन कार्य में लगी है। वहीं शोधार्थियों की एक टीम सिनौली गांव का भ्रमण भी कर रही है, ताकि और संभावनाआें को तलाशा जा सके। शोधकर्ता खुदाई में पुरावशेषों को तलाशने के साथ-साथ मानव बस्ती को तलाशने का भी प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि जून 2018 में पुरातत्वविदों ने जिस स्थान पर रथ, ताबूत एवं अन्य दुर्लभ पुरावशेष प्राप्त किए थे। उसी को आधार मानकर अभी और भी बहुत कुछ यहां मिलने की संभावना जतार्इ जा रही है। इसको दृष्टिगत रखते हुए उत्खनन करने वाली टीम ने उसी स्थान पर ट्रेंच लगाए हैं।
पुरातत्वविदों ने यहां अपने तंबू लगा रखे हैं और पोएट्री यार्ड भी बनाया गया है। उत्खनन से मिलने वाली दुर्लभ पुरासामग्री को इस पोएट्री यार्ड में सुरक्षित रखा जाएगा। सिनौली में खुदाई को देखने के लिए ग्रामीणों के साथ दूर-दराज से भी लोग पहुंच रहे हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही यहां पर कुछ और इतिहास का रहस्या निकलने वाला है।