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अयोध्या

Ram Mandir Bhumi Poojan : पहला निमंत्रण मुस्लिम के बाद अब राम मंदिर का पहला प्रसाद दलित को

– Ram Mandir Bhumi Poojan का पहला प्रसाद दलित को रामलला का पहला प्रसाद पाकर महाबीर और उनका पूरा परिवार गदगद है- मुख्यमंत्री Yogi Adityanath ने इसी परिवार के घर जाकर प्रसाद लिया था

अयोध्याAug 06, 2020 / 02:41 pm

Hariom Dwivedi

पहला निमंत्रण मुस्लिम के बाद अब राम मंदिर का पहला प्रसाद दलित को

प्रसाद के साथ ही महाबीर के परिवार को भेंट में रामचरित मानस दी गई है।

अयोध्या. राम मंदिर भूमि पूजन का पहला निमंत्रण इकबाल अंसारी के बाद अब राम मंदिर भूमि पूजन का पहला प्रसाद एक दलित परिवार के घर भेजा गया। यह वही दलित महाबीर का परिवार है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिसके घर जाकर भोजन करने गये थे। रामलला का पहला प्रसाद पाकर महाबीर और उनका पूरा परिवार गदगद है और इसे अपना सौभाग्‍य मान रहा है। प्रसाद के साथ ही महाबीर के परिवार को भेंट में रामचरित मानस दी गई है। महाबीर के परिवार को प्रधानमंत्री आवास भी मिला है।
भूमि पूजन में आने वाले विशिष्ट अतिथियों के लिए रघुबीर लड्डू बनाये गये थे। मेहमानों को स्टील के टिफिन में लड्डू दिये गये थे। इस दौरान उन्हें एक चांदी का सिक्का भी दिया गया, जिसमें एक तरफ राम दरबार की छवि है और दूसरी तरफ ट्रस्ट का प्रतीक चिन्ह है। अतिथियों के बाद अब अन्य लोगों को प्रसाद वितरित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिसमें पहला प्रसाद दलित महाबीर के घर भिजवाया गया है। 5 अगस्त को अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का शिलान्यास किया था। राम मंदिर करीब साढ़े तीन साल में बनकर तैयार होगा।
पहला निमंत्रण इकबाल अंसारी को
राम मंदिर भूमिपूजन के लिए वैदिक मंत्रों के साथ पहला कार्ड विघ्नहर्ता गणपति महाराज को दिया गया था। इसके बाद अयोध्या भूमि विवाद मामले के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी को भूमि पूजन का आमंत्रण भेजा गया।
मंच से भी दिया था सर्व समभाव की कोशिश
इससे पहले जन्मभूमि पूजन के मंच से हिंदुत्व के साथ ही सर्वधर्म समभाव का संदेश देने की कोशिश की गई थी। कार्यक्रम में 36 सम्प्रदायों के 135 साधु-संतों आमंत्रित किया गया था। इनमें हिंदुओं के अलावा, मुस्लिम, सिख, जैन और बौद्ध, कबीरपंथी, रविदास, लिंगायत और आदिवासी परंपराओं के प्रतिनिधि थे। इसके अलावा भूमि पूजन के लिए और 2000 स्थानों की मिट्टी और जल के लिए 1500 का स्रोतों का चयन बहुत ही सोच-समझकर लिया गया है। इसका मकसद सर्वधर्म समभाव और समावेशी हिंदुत्व को दर्शाना है।

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