वहीं, तमाम सबूतों के आधार पर यह दावा किया जा रहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान को सत्ता पाकिस्तान की मदद से मिली है। इसके बाद सरकार गठन की प्रक्रिया से लेकर पंजशीर में एनआरएफ से लडऩे में पाकिस्तान ने खुले तौर पर तालिबान की मदद की। पिछले दिनों पाकिस्तान ने दावा किया था कि अफगानिस्तान से कारोबार डॉलर में नहीं बल्कि, पाकिस्तानी रुपए में करेगा। इससे पाकिस्तान तालिबान की सरकार के साथ-साथ वहां की अर्थव्यवस्था को भी नियंत्रित करना चाहता है।
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तालिबान ने पाकिस्तान की इस शर्त पर अपना जवाब दे दिया है और संभवत: यह जवाब पाकिस्तानी हुक्मरानों को नागवार गुजरे। तालिबान ने पाकिस्तान के इस ऑफर को ठुकराते हुए कहा कि वह अपने हितों को देखते हुए फैसले लेंगे, क्योंकि यह उनके लिए सम्मान का सवाल है।
बता दें कि पाकिस्तान के केंद्रीय मंत्री शौकत तारिन ने गत गुरुवार को कहा था कि उनकी सरकार ने अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तानी रुपए में कारोबार करने का फैसला किया है। तारिन ने कहा था कि अफगानिस्तान के पास डॉलर की कमी है, इसलिए पाकिस्तान अपनी मुद्रा में ही कारोबार करेगा।
पाकिस्तान के केंद्रीय वित्त मंत्री शौकत तारिन ने बताया कि उनकी सरकार ने अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तानी मुद्रा में व्यापार करने का फैसला किया है। तारिन ने कहा कि अफगानिस्तान के पास डॉलर की कमी है, इसलिए पाकिस्तान अपनी मुद्रा में ही व्यापार करेगा। शौकत ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति पर लगातार नजर बनी हुई है। पाकिस्तान अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद करने के लिए वहां अपनी टीम भेज सकता है।
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष समेत कई संस्थाओं ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है। साथ ही, उसकी संपत्तियों को भी फ्रीज कर दिया है। ऐसे में सरकार बनाने के बाद भी तालिबान की हालत काफी खराब है। पाकिस्तान से पहले चीन ने तालिबान सरकार के लिए 310 लाख डॉलर की मदद का ऐलान किया है।
अब तालिबान ने तीन दिनों तक चुप रहने के बाद पाकिस्तान को अपना जवाब न में दे दिया है। तालिबान ने अपना जवाब देते हुए कहा, हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि आपसी कारोबार तो हमारी मुद्रा अफगानीस में ही होगा। करेंसी को बदला नहीं जाएगा। हम अपनी पहचान का महत्व समझते हैैं। हम इसे बनाए रखेंगे और अपनी पहचान से कोई समझौता नहीं करेगा।