Bangladesh PM Mohammad Yunus Order to Military ready for War
Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के बीच अब वहां की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने अब बांग्लादेश की सेना से युद्ध लड़ने के तैयार रहने को कहा है। रविवार को मोहम्मद यूनुस (Mohammad Yunsu) ने चटगांव स्थित मिलिट्री ट्रेनिंग एरिया में बांग्लादेशी सेना (Bangladesh Military) के एक प्रमुख युद्धाभ्यास में हिस्सा लिया। उन्होंने इस मौके पर सेना की तैयारियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि किसी भी समय जरूरत पड़ने पर सेना को पूरे साहस और तैयारी के साथ युद्ध में उतरना होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस अभ्यास के पीछे मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus on India) का असली मकसद अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन करना था, ताकि अंतरराष्ट्रीय दबाव और आलोचनाओं के बीच वह अपनी स्थिति मजबूत कर सकें। एयपोर्ट पहुंचने पर उनका बांग्लादेश के सेनाध्यक्ष वाकर-उज-जमान, नौसेना प्रमुख एडमिरल एम. नजमुल हसन और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल हसन महमूद खान ने स्वागत किया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूनुस ने अपने संबोधन में कहा, हम शांति के पक्षधर हैं। लेकिन जब स्वतंत्रता और संप्रभुता का सवाल उठे तो हमें हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
एक और भारत विरोधी फैसला
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने एक और भारत विरोधी फैसला लिया है। बांग्लादेश ने 50 जजों की भारत यात्रा पर लोक लगा दी है। ये 50 जज ट्रेनिंग के लिए भारत आने वाले थे। वहीं, भर्ती कारणों की पूरी जानकारी दिए बिना कानून मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, जजों के नोटिफिकेशन रद्द कर दिए गए हैं। द डेली स्टार की रिपोर्टों में कहा गया है कि जजों के इस कार्यक्रम को रद्द करने का फैसला बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक ही है। हालांकि इसके बारे में कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।
10 फरवरी से होना था ये कार्यक्रम
बता दें कि ये प्रोग्राम भारत के राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी और मध्य प्रदेश में राज्य न्यायिक अकादमी में 10 फरवरी से शुरू होने वाला था। इसका पूरा खर्चा भारत सरकार की तरफ से किया जाना था। इस कार्यक्रम के लिए चयनित प्रतिभागियों में जिला और सेशन न्यायाधीश, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश और समकक्ष रैंक के अधिकारी शामिल थे।
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बिगड़ रहे हालात
बता दें कि बीते साल अगस्त महीने में बांग्लादेश में छात्र आंदोलन की वजह से तख्तापलट हुआ था। शेख हसीना प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारत चली गईं थीं। जिसके बाद बांग्लादेश और भारत के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। वहीं बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार सत्ता में है, जिसके बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
लगातार हिंदुओं पर होते अत्याचार के चलते भारत से संबंध और ज्यादा जटिल हो गए हैं। हिंदू समुदाय ने यूनुस सरकार के खिलाफ बढ़ती हिंसा का आरोप लगाया है, यहां पर अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों पर भीषण हमले किए जा रहे हैं। इसे लेकर भारत ने बांग्लादेश के साथ अपनी चिंताओं को उठाया है। ये तल्खियां इस्कॉन संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद और ज्यादा बढ़ गई। 2 जनवरी को चिन्मय की जमानत याचिका भी रद्द कर दी गई।