दरअसल गठबन्धन की सरकार के लिए तय समय सीमा खत्म होने के साथ ही राष्ट्रपति विद्या भण्डारी ने संविधान की धारा 76 (3) के तहत सबसे बड़े दल के रूप में नियुक्त किया है।
प्रधानमंत्री पद पर मुहर लगने के बाद भी केपी ओली की चुनौती कम नहीं हुई है, केपी शर्मा को सदन में विश्वास का मत हासिल करने के लिए 30 दिनों का समय दिया जाएगा। इस वक्त में उन्हें विश्वास मत हासिल करना होगा।
केपी शर्मा ओली के खिलाफ विपक्षी दलों ने जमकर मोर्चाबंदी की, हालांकि वे इसमें सफल नहीं हो पाए। तीन दिन पहले ही संसद में विपक्षी ओली के खिलाफ बहुमत जुटाने में नाकाम रहा। तमाम दलों ने मिलकर ओली के 93 के मुकाबले 124 मत तो हासिल किए लेकिन बहुमत के जादुई आंकड़े से 12 वोट दूर रहे गए। तीन दिन की मशक्कत के बावजूद उनको इसमें सफलता नहीं मिली।
ओली के खिलाफ लामबंदी में विपक्ष के सामने जो मुश्किल आई वो थी, नेपाली कांग्रेस, माओवादी और जनता समाजवादी पार्टी को एकजुट कर पाना। जानकारों की मानें तो ये तीनों पार्टियां एकजुट रहती तो ओली के खिलाफ बहुमत आसानी से जुट सकता था। लेकिन ओली के बिछाए जाल में विपक्षी पार्टियां इस कदर उलझ गई कि वो ना तो विपक्षी एकता ही बचाने में कामयाब हो पाईं और ना ओली को सत्ता से बेदखल ही कर पाईं।