इस धमाके के साथ ही ये तय हो गया कि अविश्वास, शक और आधे-अधूरे मंसूबे के साथ किया गया अफगान शांति समझौता अब आगे नहीं बढ़ पाएगा और अफगानिस्तान का भविष्य एक बार फिर से अधर में अटक गया।
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दरअसल, पूर्वी अफगानिस्तान के खोस्त शहर स्थित एक फुटबॉल मैदान एक जोरदार धमाका ( Blast In Afghanistan ) हुआ। इस धमाके में 3 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए। हालांकि अभी तक किसी भी संगठन ने इस धमाके की जिम्मेदारी नहीं ली है। बता दें कि 2 मार्च (सोमवार) को तालिबान ( Taliban ) ने युद्ध-विराम की इस संधि को आंशिक तौर पर तोड़ने का ऐलान किया था।
अफगान सरकार पर जारी रहेगा हमला: तालिबान
इस धमाके से पहले ही तालिबान ने साफ कर दिया था कि भले ही शांति समझौता हो चुका है, लेकिन पहले की तरह ही हमले जारी रहेंगे। तालिबान के प्रवक्ता जबीहउल्ला मुजाहिद ने कहा कि हिंसा में कमी लाने के लिए तय किया गया समय अब खत्म हो गया है। अब हमारी गतिविधियां पहले की तरह जारी रहेंगी।
मजाहिद ने कहा कि अमरीका-तालिबान समझौते के अनुसार हमारे मुजाहिदीन विदेशी सैनिकों पर हमला नहीं करेंगे, लेकिन अफगान सरकार के खिलाफ हमारा संघर्ष जारी रहेगा और हम हमला करते रहेंगे।
क्यों तालिबान ने तोड़ा समझौता?
अब जो सबसे महत्वपूर्ण सवाल उठता है, वह है आखिर तालिबान ने समझौते के महज 48 घंटे में ही ऐसा कदम उठाया। आखिर, क्यों इस समझौते को तोड़ा? दरअसल, बीते दिन (रविवार) अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी की ओर से एक बड़ा बयान सामने आया।
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गनी ने कहा कि उनकी सरकार तालिबानी कैदियों को रिहा नहीं करेगी। हम इसका वादा नहीं कर सकते कि भविष्य में तालिबानी कैदियों को रिहा किया जाएगा। गनी ने आगे कहा कि तालिबानी कैदियों को रिहा करने का फैसला अफगानिस्तान करेगा, अमरीका नहीं। हम तय करेंगे कि किसी छोड़ना है और किसे नहीं छोड़ना है। इसको लेकर तालिबान खफा हो गया।
बता दें कि अमरीका-तालिबान समझौते यह प्रावधान है कि तालिबान अपने कब्जे से एक हजार अफगानी सैनिकों को रिहा करेंगे और अफगानिस्तान सरकार पांच हजार तालिबानी कैदियों को रिहा करेगी।
तालिबान चाहता है अपने लड़ाकों की रिहाई
आपको बता दें कि राष्ट्रपति अशरफ गनी की घोषणा के बाद ही खोस्ता स्थित फुटबॉल स्टेडियम में धमाका हुआ। क्योंकि तालिबान गनी के बयान से भड़क गया। तालिबान चाहता है कि अशरफ गनी की सरकार उनके लड़ाकों को रिहा कर दे और इसके लिए वह अमरीका व अफगान सरकार पर दबाव बना रहा है।
तालिबान का कहना है कि जब तक उनके लड़ाकों को रिहा नहीं किया जाएगा, तब तक शांति वार्ता को लेकर को भी समझौता आगे अमल में नहीं लाया जा सकता है। तालिबान ने साफ-साफ कहा है कि अशरफ गनी की सरकार 10 मार्च 2020 तक उनके पांच हजार लड़ाकों को रिहा करे, तो भी शांति वार्ता और बहाली का अगला चरण शुरू होगा। दूसरी तरफ अफगान सरकार भी हर हाल में चाहती है कि तालिबान उनके लड़ाकों को रिहा कर दे।
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बहरहाल, अब अमरीका के लिए ये सबसे बड़ी चुनौती है कि आखिर कैसे सफलतापूर्वक सैनिकों की वापसी कराए। समझौते में ये तय है कि 14 महीने के अंदर सभी विदेशी सैनिकों की वापसी होगी। हालांकि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बीते दिन ये कहा था कि यदि तालिबान ने किसी भी तरह से समझौते का उल्लंघन करने की कोशिश की तो, इस बार इतनी बड़ी फौज भेजेंगे कि किसी ने अभी तक देखा नहीं होगा।
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