मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तालिबान ने अफगानिस्तान में अपनी नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह को सहायोगियों के दबाव के बाद रद्द कर दिया है। तालिबानी सरकार के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य इनामुल्ला समांगानी ने बताया कि नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह रद्द कर दिया गया है।
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समांगानी ने कहा कि लोग और भ्रमित न हों, इसके लिए इस्लामिक अमीरात के नेतृत्व ने कैबिनेट की घोषणा की और इसने पहले से ही काम करना शुरू दिया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा था कि तालिबान की अंतरिम सरकार का शपथ ग्रहण 11 सितंबर की 20वीं बरसी के दिन हो सकता है। इस आतंकी हमले में 2996 लोगों की मौत हो गई थी।
तालिबान ने सरकार गठन से पहले चीन, तुर्की, पाकिस्तान, ईरान, कतर और भारत जैसे पड़ोसी देशों के अलावा अमरीका को भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का आमंत्रण दिया था। बहरहाल, तालिबान ने शपथ ग्रहण समारोह रद्द करने का फैसला ऐसे समय लिया है, जब ज्यादातर देशों ने यह कह दिया है कि वे तालिबान सरकार को मान्यता देने में जल्दबाजी नहीं करेंगे।
वैसे, हैरानी की बात यह है कि रूस, जिसने माना जा रहा है कि तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने में काफी मदद की, ने भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का निमंत्रण ठुकरा दिया था। रूस ने स्पष्ट तौर पर तालिबानी हुक्मरानों को जवाब भेजते हुए कहा कि वह शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होगा।
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तालिबान की नई सरकार में हिबातुल्लाह अखुंदजादा को सुप्रीम लीडर बनाया गया है। वहीं, मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को प्रधानमंत्री बनाया गया है। मुल्ला बरादर को उप प्रधानमंत्री पद दिया गया है, जबकि बरादर खुद प्रधानमंत्री पद के दावेदार माना जा रहा था। तालिबानी सरकार में आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क से जुड़े सदस्यों को भी अहम पद दिया गया है। इससे दुनियाभर में कई देशों की चिंता बढ़ गई है।
इस नई सरकार में कई ऐसे लोगों को मंत्री बनाया गया है, जिन्हें अमरीका ने आतंकी घोषित करते हुए प्रतिबंधित सूची में डाल रखा है और लाखों डॉलर का उन पर इनाम घोषित किया हुआ है। वहीं, सरकार में इन सदस्यों को शामिल करने के बाद तालिबान ने अमरीका की प्रतिबंधित सूची पर सवाल खड़े किए हैं और इसे रद्द करने को कहा है।