अब दक्षिण चीन सागर, ताइवान और अब भारत के साथ चल रहे तनातनी के बीच इस बिल पर राष्ट्रपति ट्रंप के हस्ताक्षर से चीन ( China ) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, इस बिल में ये प्रावधान किया गया है कि चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ सामूहिक उत्पीड़न करने वाले अधिकारियों को अमरीका में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी।
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इतना ही नहीं, इस नए कानून के तहत अमरीकी प्रशासन उन चीनी अधिकारियों पर कार्रवाई कर सकेगा जो उइगरों के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार हैं। बता दें कि 2016 से ही चीन उइगुर मुसलमानों ( china uighur muslims ) को गिरफ्तार कर एक कैंप में रख रही है, और पूरी दुनिया को ये बता रही है कि सभी को वोकेशनल एजुकेशन ट्रेनिंग सेंटर रखा गया है।
चीनी अधिकारियों पर कार्रवाई कर सकेगा अमरीका
आपको बता दें कि इस विधेयक पर दस्तखत करने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ( President Trump ) ने कहा कि यह कानून मानवाधिकारों के उल्लंघन करने वालों और शिविरों के गलत इस्तेमाल करने वाले अधिकारियों को जवाबदेह ठहराएगा। इस बिल में उइगर और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ जबरन काम कराने, उन पर निगरानी करने, जातीय पहचान और धार्मिक मान्यताएं खत्म कराने के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया है।
इस कानून में उइगर मुस्लिमों के साथ चीन में उत्पीड़न करने वाले चीनी अधिकारियों की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान किया गया है और साथ ही उन अधिकारियों को अमरीका में प्रवेश करने पर रोक लगाने का भी प्रवाधान है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि चीन ने करीब 10 लाख उइगर और अन्य मुसलमानों को जबरन कैंपों में कैद कर रखा है। ऐसा माना जा रहा है इस कानून के बनने के बाद अमरीका और चीन में तनाव ओर भी गहरा सकता है।
चीन ने अमरीकी फैसले पर जताई आपत्ति
उइगरों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे वकील नुरी टर्केल ने बिल पर हस्ताक्षर करने को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप का धन्यवाद दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति ट्रंप को शुक्रिया करते हुए लिखा, ‘यह अमरीका और उइगर लोगों के लिए एक महान दिन है।’
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इधर चीन ने गुरुवार को अमरीकी राष्ट्रपति की ओर हस्ताक्षर किए गए उइगर मानवाधिकार बिल ( Uygar Human Rights Bill ) पर कड़ा विरोध जताया। चीन ने कहा कि अमरीका को तुरंत अपनी गलती सुधारनी चाहिए और चीन को नुकसान पहुंचाने वाले बिल का उपयोग बंद करना चाहिए।