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‘बर्फ’ की वजह से रातों रात कंगाल हो गया पाकिस्तान का ये गांव, जानिए पूरी कहानी

Pakistan: पाकिस्तान में ये जगह खैबर पख्तूनख्वा प्रांत (Khyber Pakhtunkhwa) में है। ये इलाका चित्राल कहलाता है जो चित्राल नदी के नाम पर ही रखा गया है। चित्राल ग्लेशियर्स, पहाड़, खूबसूरत नज़ारे और वादियों के लिए पूरी दुनिया में फेमस है।

नई दिल्लीDec 18, 2024 / 04:59 pm

Jyoti Sharma

Pakistan Khyber Pakhtunkhwa Chitral Destruction

Pakistan Khyber Pakhtunkhwa Chitral Destruction

Pakistan: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में एक बेहद खूबसूरत जगह है जिसका नाम है चित्राल। लेकिन ये खूबसूरती चित्राल के गांव के गांव तबाह कर रही है। रातोंरात यहां के धन-धान्य से संपन्न गांव कंगाल हो गए। इस तबाही का एक कारण है वो है बर्फ। जी हां ये बर्फ ही चित्राल (Chitral) के गांवों को तबाह कर रही है। दरअसल जिस जलवायु परिवर्तन का सामना अंटार्कटिका के ग्लेशियर्स तक कर रहे हैं उसी आपदा का सामना चित्राल भी कर रहा है। हाल के सालों में यहां के ग्लेशियर्स जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के चलते तेजी से पिघल रहे हैं जिससे लोगों के घर-गांव सब उजाड़ हो रहे हैं। इन्हीं में से एक गांव है ग्रीन लश्ट। ग्रीन लश्ट वो गांव है जो रातोंरात इस तबाही का गवाह बना हुआ है। यहां के लोग एक रात में ही कंगाल हो गए। जिसके पास जितनी धन-संपदा थी वो सब पानी में बह गई। 

हाथ में जो आया उसे उठाकर भागे लोग

एक अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में चित्राल के ग्रीन लश्ट गांव में नदी के उस पार का इलाका नदी बढ़ने से पानी में बह गया। इस मंजर से ग्रीन लश्ट गांव के लोग खासे परेशान हो गए लेकिन कुछ दिन बाद हालात सामान्य हो गए। लेकिन लोगों को ये नहीं पता था कि ये तबाही फिर आएगी और एक रात में ही उनके गांव को तबाह कर देगी। 

2020 में आई तबाही 

ग्रीन लश्ट गांव के लोगों के हवाले से इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 तक नदी का कटाव जारी रहा लोगों को ये तो डर था कि नदी का पानी उनके घरों के पास तक आ सकता है लेकिन ग्लेशियर्स पिघलने से वो हुआ जिसका किसी को अंदाजा भी नहीं था। दरअसल रात भर में नदी का रुख़ उनके गांव की तरफ़ हो गया। नदी का पानी सैलाब की तरह उनके गांव में घुस गय़ा। घबराए लोगों ने अपने हाथों में जो लगा उसे उठाकर सुरक्षित स्थानों पर भागने लगे।
कई लोगों की आंखों के सामने उनके कच्चे घर, साइकिल, उनके पालतू जानवर तक बहे चले गए। पक्के मकान पानी के तेज बहाव के आगे अपना जड़त्व भूल गए और धाराशाई हो गए। ये उफ़नाई हुई नदी अपने साथ सबकुछ बहाकर ले गई। सुबह लोगों को यहां पर एक साफ मैदान की दिखा जहां पर लोगों के घर बसे हुए थे एक सुंदर गांव था, वहां पर तबाही की निशानियां थीं। 

कोई खुले आसमान के नीचे तो कई रसोई जितने क्वार्टर में 

रिपोर्ट में बताया गया है कि लोगों ने ना तो अब वहां घर बचे, ना खेत ना ही मवेशी, अब कुछ लोग बाहर चले गए हैं कुछ लोग बेघर होने के बाद कड़े संघर्ष से अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं, कोई किसी किराए के क्वार्टर में रह रहा तो कई खुले आसमान के नीचे तंबू लगाकर। एक रात में ही जीवन इतना कठिन हो जाएगा ये किसी ने नहीं सोचा था। 

पिघल रहे हैं चित्राल के ग्लेशियर्स  

चित्राल, हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला में स्थित है, जहां दर्जनों ग्लेशियर हैं। ये ग्लेशियर न सिर्फ चित्राल के लिए बल्कि पूरे पाकिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत हैं। चित्राल का क्षेत्र गिलगित-बाल्टिस्तान के बाद पाकिस्तान का सबसे ग्लेशियर-समृद्ध इलाका है। यहां के प्रमुख ग्लेशियरों में चिरोई, इस्तरो, और तारतासार शामिल हैं। कुनार नदी, यारखून नदी का पानी इन्हीं ग्लेशियर्स से आता है। सिंचाई, पीने का पानी और हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर के लिए ये जल स्रोत बेहद अहम हैं। 
ग्रीन लश्ट जैसे एक नहीं बल्कि कई गांव हैं जो इन ग्लेशियर्स के पिघलने से बर्बाद हो रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। जब ये ग्लेशियर पिघलते हैं, तो उनसे झीलें बनती हैं। झीलें जब भर जाती हैं तो उनके टूटने से बड़े पैमाने पर बाढ़ आती है, जिसे ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) कहते हैं।
2022 में, चित्राल क्षेत्र में ऐसी झीलें टूटने के चलते कई गांव और फसलें नष्ट हो गईं। नदी के किनारे बसे सैकड़ों घर और पुल बह गए। चित्राल घाटी की संकरी और पहाड़ी भू-आकृति इस बाढ़ को और ज्यादा विनाशकारी बनाती है।

ग्लेशियर का सिकुड़ना और नई झीलों का निर्माण

रिपोर्ट के मुताबिक चित्राल के कई ग्लेशियर 30-40% तक सिकुड़ गए हैं। इनसे पानी का इंतजाम करना काफी मुश्किल है। इससे गांवों में मची तबाही से सैकड़ों घर, स्कूल, और मस्जिदें बह गईं। पुल टूटने और सड़कों के कटने से कई इलाकों का संपर्क बाकी हिस्सों से कट गया। बाढ़ ने 2022 और 2023 में बड़ी तबाही मचाई।

फसल और पशुधन की तबाही

दरअसल चित्राल के लोग आमतौर पर कृषि और पशुपालन पर निर्भर हैं। लेकिन बाढ़ और मिट्टी के कटाव के चलते हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि खराब हो गई। पशुधन की मौतों ने यहां के लोगों की आजीविका पर बुरा असर डाला। हजारों लोग बेघर हो गए। पीने के पानी और बिजली की सप्लाई ठप हो गई। स्थानीय लोगों को सरकारी राहत के भरोसी ही जिंदगी काटनी पड़ रही है। सबसे अहम बात ये है कि चित्राल का इलाका पर्यटन के लिए फेमस है, लेकिन बार-बार की तबाही ने पर्यटन उद्योग को बुरी तरह नष्ट कर दिया है। चित्राल की समस्याएं पाकिस्तान और पूरी दुनिया को जलवायु परिवर्तन के खतरों की याद दिलाती हैं।

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