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खौफनाक वारदात का खुलासा : पहले मानसिक बीमार एक शिक्षक ने पार की अपनी मर्यादा फिर तीन नौजवान बने हैवान यूपी के अम्बेडकर नगर जिले के टांडा कस्बे में अंग्रेजों के जमाने से चल रहा कपड़ा बुनाई उद्योग अम्बेडकर नगर में कपड़ा उत्पादन के क्षेत्र में विकास का एक लंबा इतिहास है। ब्रिटिश ( British ) हुकूमत में भी जिले के टांडा (
Tanda ) कस्बे में हैंडलूम पर कपड़ा बुनाई का कार्य यहां के अधिकांश जुलाहा परिवारों के हाथ मे रहा। इन जुलाहों द्वारा तैयार किया जाने वाला कपड़ा गुणवत्ता परक होने के साथ साथ इतना सस्ता और टिकाऊ रहता था कि किसी भी गरीब परिवार के तन ढकने के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाता रहा है, लेकिन सूती और स्टेपल के बने इन कपड़ों की पहचान सिर्फ गरीबों के कपड़े के रूप हो जाने के कारण मध्यम और धनाड्य वर्ग इसका प्रयोग करने के बजाय विदेशी धागों से बने टेरीवायल, टेरीलीन और पालिस्टर जैसे धागों से बने कपड़े प्रयोग करता रहा। हालांकि आज के दौर में कपड़े के रूप में सबसे ज्यादा डिमांड सूती और स्टेपल के धागों से बने कपड़े प्रयोग में लाये जा रहे हैं, जो गर्मी के मौसम में न सिर्फ टिकाऊ बल्कि इन कपड़ों की तासीर ठंडी होने के कारण गर्मी से राहत देने वाली भी हैं।
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#Section370 : जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म होने के बाद राम विलास दास वेदांती का बड़ा आरोप देश के कई राज्यों में होती है कपड़ों को सप्लाई हैंडलूम से शुरू हुए यहां के कपड़ों के उत्पादन का एक दौर ऐसा आया कि जब प्रदेश ही नही देश के कई प्रान्तों बिहार ( Bihar ) , पश्चिम बंगाल, (
West Bengal )उड़ीसा, ( Orisa ) छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश ( Madhya Pradesh ) , राजस्थान ( Rajsthan ) , हरियाणा Hariyanha ) , दिल्ली ( delhi ) , पंजाब ( Punjab ) और दक्षिण भारत के कई प्रान्तों तक इसकी मांग होने लगी, जिसके बाद बुनकरों ने हैंडलूम के स्थान पर छोटे छोटे पावरलूम ( Powerloom ) लगाने शुरू कर दिए और यह व्यवसाय इस पूरे जिले में गांव गांव तक फैला हुआ है, जहां प्रतिदिन लाखों मीटर कपड़ा तैयार होता है। यहाँ से देश ही नही खाड़ी देशों में भी कपड़ा निर्यात किया जा है .
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अयोध्या के आम मुस्लिमों ने कहा देश की बड़ी आबादी की आस्था से जुड़ा है मुद्दा, संसद में कानून बनाकर विवाद समाप्त करे मोदी सरकार टांडा में तैयार होती है सूती गमछा, शर्ट और कुर्ते के कपड़े, गर्मी के मौसम में ओढ़ने वाली चादरें, लुंगी और लड़कियों के स्टोल की विस्तृत श्रृंखला जिन कपड़ों का उत्पादन यहां किया जाता है उसमें प्रमुख रूप से सूती गमछा, शर्ट और कुर्ते के कपड़े, गर्मी के मौसम में ओढ़ने वाली चादरें, लुंगी और आजकल लड़कियों और महिलाओं में सबसे लोकप्रिय हो चुके स्टॉल का उत्पादन यहां बड़े पैमाने पर किया जाता है। प्रदेश सरकार हैंडलूम और छोटे पावरलूम बुनकरों को काफी सहूलियत भी दे रही है, जिससे यह उद्योग विकास के नए आयाम स्थापित कर सके। यहां के बुनकरों की दशा में में सुधार हो इसके लिए सरकार बुनकरों को बिजली फिक्स रेट पर वर्षों से दे रही, जिसमे एक पावरलूम के संचालन के लिए मात्र 65 रुपये महीने भर की बिजली का किराया देना होता है। सरकार के इस सहयोग से बुनकरों के आर्थिक हालत में काफी सुधार आया है।
योगी सरकार ने दी है इस उद्योग को सस्ती बिजली लगातार बढ़ रहा है कारोबार कपड़ा उत्पादन से जुड़े मोहम्मद कासिम अंसारी बताते हैं कि उनके यहां लुंगी और स्टॉल का उत्पादन होता जो देश के कई प्रान्तों में जाता है। उन्होंने बताया कि यहां का कपड़ा इतना सस्ता है कि 10 रुपये मीटर से लेकर 40, 50 रुपये मीटर तक का कपड़ा यहां तैयार हो जाता है, जिसके लिए सरकार का सहयोग बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि सरकार इसे लघु उद्योग के रूप में मान्यता दी है, जिस पर अनावश्यक टैक्स नही लगता और इस वजह से कपड़ा सस्ता पड़ता है। कपड़ा व्यवसायी गयास मोहम्मद का कहना है कि अपने इसी छोटे पावर लूम पर वे शर्ट और कपड़े के कुर्ते के साथ साथ चादरें, स्टॉल गमछे की ऐसी वैरायटी तैयार करते हैं, जो बड़ी मिलों को मात देते हैं साथ ही कीमत के मामले में मिलों से कई गुना सस्ता उनका कपड़ा रहता है। उन्होंने बताया कि कुछ व्यापारी ऐसे भी है, जो उनके कपड़ों को खाड़ी देशों तक भेजते हैं।