शहर के आबादी क्षेत्र के आसपास पिछले कुछ समय से बाघ के शावक की चहलकदमी शहरवासियों के लिए भय का कारण बन रही है। पिछले दिनों शावक चेतन एनक्लेव फेज द्वितीय में बने मकानों के पिछवाडे अलवर बफर वन क्षेत्र की चारदीवारी पर पहुंच चहलकदमी करता दिखाई दिया था। लोग शावक के भय से पूरी तरह उबरे भी नहीं कि गुरुवार को भूरासिद्ध रोड के पास जंगल में शावक की दहाड़ सुनाई पड़ी। पूर्व में बाघ का शावक इसी भूरासिद्ध मंदिर के पीछे की ओर बने पानी के कुंडे में उतर कर लौट चुका है। वहीं प्रतापबंध के आसपास इस शावक की चहल कदमी गत नवरात्र के दौरान खूब दिखाई पड़ चुकी है।
मौके पर पहुंचे वनकर्मी भूरासिद्ध रोड पर शावक की दहाड़ की सूचना मिलने पर अलवर बफर रेंज के रेंजर शंकरसिंह शेखावत वनकर्मियों की टीम के साथ मौके पर पहुंचे और शावक की तलाश की। हालांकि वनकर्मियों को शावक नहीं दिखा, लेकिन वनकमियों की टीम को वहीं मॉनिटरिंग के लिए तैनात किया गया है।
रात को मंदिर पर जाने वालों को रोका शावक की दहाड़ सुनाई देने के बाद वनकर्मियों ने भूरासिद्ध मंदिर पर जाने वाले दर्शनार्थियों को रोक दिया। फिलहाल रात व सुबह के समय भूरासिद्ध रोड पर जाने पर रोक रहेगी। वनकर्मियों का मानना है कि शावक की मौजूदगी अभी इसी जंगल में हो सकती है, इस कारण अंधेरे में जंगल की ओर जाने पर खतरा हो सकता है।
अभी छोटे के कारण आबादी की ओर आ रहे वन्यजीव जानकारों का मानना है कि बाघिन एसटी-19 के शावक डेढ़- साल की उम्र के हैं। छोटे के कारण उनमें नयापन देखने की चाहत रहती है। इसके चलते शावक कई बार आबादी की ओर आ जाते हैं।