शादी की कामना के लिए पहुंचे युवक-युवतियां: इस अवसर पर अविवाहित युवक-युवतियों ने भी शीघ्र शादी की कामना के लिए कंगन डोरे बंधवाए। ऐसी मान्यता है कि भगवान के मंदिर में कंगन डोरे बंधवाने से शादी जल्दी हो जाती है।
देवशयनी एकादशी को विवाह कर सो जाते हैं भगवान: आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान जगन्नाथ व जानकी मैया की वरमाला महोत्सव होता है। इस दिन देवशयन एकादशी रहती है। भगवान विवाह के बाद सो जाते हैं और चार माह के लिए मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है। इसके बाद देवउठनी एकादशी को देवों के जागने पर वैवाहिक कार्यक्रम फिर से प्रारंभ होते हैं।
पुराना कटला जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ की दो प्रतिमाएं विराजमान है। एक प्रतिमा चंदन की लकड़ी की बनी हुई है। यह चल है और रथयात्रा के दौरान इसे रूपबास तक रथयात्रा के रूप में ले जाया जाता है। दूसरी प्रतिमा अचल है जो कि ठोस धातु की बनी हुई है। जिसे बूढ़े जगन्नाथ जी के नाम से जाना जाता है। इस प्रतिमा के दर्शन भक्तों को साल में एक बार मेले के दौरान ही होते हैं। जगन्नाथ जी की रथयात्रा के दौरान वर्तमान प्रतिमा रूपबास पहुंचती है तो मंदिर में बूढ़े जगन्नाथ जी के ही दर्शन होते हैं। रथयात्रा के वापस लौटने तक ही इनके दर्शन होते हैं।