मेरा परिवार गरीब था, पिताजी मजदूरी करके जीवन व्यतीत कर रहे थे। आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। हम तीन भाई हैं जिनकी पढ़ाई-लिखाई का खर्चा चलाना मुश्किल था लेकिन पिताजी ने सभी को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मुझे शिक्षक संदीप यादव ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए हर कदम पर मार्गदर्शन दिया। वे मेरा उत्साह बढ़ाते जिससे मैं मेहनत करने के लिए प्रेरित होता रहा और मेरा राजस्थान पुलिस में सलेक्शन हो गया।
नरेंद्र कुमार, गांव सैंथली, राजस्थान पुलिस
मैं राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय खरखड़ा की कक्षा आठवीं की छात्रा हूं। मेरी आदर्श शिक्षिका आशा सुमन है। स्कूल में जितने भी बच्चे हैं उनको वे आत्मरक्षा करने के गुर सिखा चुकी हैं। जब भी कोई बच्चा स्कूल नहीं आता तो वे उसे घर से बुलाकर ले आती हैं। मैं बड़ी होकर पुलिस अधिकारी बनना चाहती हूं। मेरा आदर्श मेरी यह शिक्षिका है। इस साल इन्हें स्वतंत्रता दिवस पर पुरस्कार मिला है जो हमारे लिए गर्व का विषय है।
भावना बैरवा, कक्षा 8 वीं
मुझे बचपन से चित्रकला में रुचि थी लेकिन समाज में कला को महत्व नहीं देते। इसको एक व्यर्थ का काम समझते हैं, जिससे मेरी कला दब गई थी। मैट्रिक के बाद विज्ञान वर्ग में जाने के बाद स्नातक की पढ़ाई करने मैं अलवर के राजर्षि महाविद्यालय में आ गया। यहां मेरी मुलाकात गुरु के.पी. यादव से हुई। वहीं से ही मुझे एक नई दिशा मिली। मेरी रुचि जानकर चित्रकला के प्रति उत्साहित किया। अपने खर्चे से चित्रकला सिखाई और मेरे चित्रों की प्रदर्शनी लगवाई।
मिथुल कुमार, चित्रकला आर्टिस्ट
मेरे गुरूजी डॉ. उमा शंकर यादव अकादमी के संचालक जिन्होंने जिंदगी में बहुत उपलब्धियां हासिल करी पर कभी अपने इस विश्वास को अहंकार नहीं बनाया। माना की जिंदगी का पहला पाठ माता-पिता ने सिखाया पर दूसरा पाठ मुझे इन्होंने सिखाया। सरल सहज सवभाव के गुरूजी और मुसीबत में एक बड़े भाई की तरह समझाने वाले प्रिय गुरूजी और बड़ो के साथ गंभीरता इनकी एक अलग पहचान है बच्चों को अपने छोटे भाई बहन की तरह समझाते है।
मैं बीएससी द्वितीय वर्ष में फेल होने के बाद इनके पास गया और इन्होंने मुझे आगे बढऩे के लिए प्रोत्सहन दिया और कहा की जिंदगी में हर व्यक्ति को एक बार असफलता मिलती है लेकिन इनसे घबराए बिना जिंदगी मे आगे बढऩा चाहिए और जब तक आप अपनी मंजिल पर नहीं पहुंच जाएं आपको किसी भी मुसीबत में नहीं रुकना चाहिए। गुरुजी के इसी विश्वास के कारण मैं आगे बढ़ा और मैनें बीएससी द्वितीय वर्ष में सफलता प्राप्त की। मेरे लिए मेरे गुुरुजी सम्मानीय है।
ओमपाल सिंह यादव