नगर पालिका प्रशासन की ओर से कस्बे के नवीन बस स्टैण्ड पर रैन बसेरा में पुरुष व महिलाओं के लिए अलग-अलग दो कमरों में रात्रि को सोने के लिए करीब 20 लोहे के पलंग, गद्दे, रजाई व तकिए, बैडशीट लगाए हुए है। इसके अलावा दिव्यांगजन के लिए व्हील चेयर की भी व्यवस्था है। देर रात्रि को भी आने वाले व्यक्ति के लिए दरवाजा खोल दिया जाता है। कडाके की सर्दी व ठण्ड से बचाव के लिए अलाव की अलग से व्यवस्था की जाती है। रैन बसेरा में स्नान करने के साथ ही लैटबाथ की भी पूरी व्यवस्था है। रैन बसेरा में अभी तीन से अधिक व्यक्ति रात्रि में विश्राम करने के लिए आ रहे हैं। कड़ाके की सर्दी होने पर लोगों की संख्या ज्यादा हो जाती है। रैन बसेरा में कमरों की पर्याप्त व्यवस्था होने के कारण इसी में इन्दिरा रसोई भी संचालित है।
रैन बसेरा के इंचार्ज संतोष कुमार मीना का कहना है रैन बसेरा में रात्रि को सोने के लिए पर्याप्त बैड व रजाई सहित अन्य सुविधाएं है। इस समय रैन बसेरा में अभी प्रतिदिन तीन लोग रात्रि को विश्राम करने के लिए आ रहे हैं। वैसे रैन बसेरा में विश्राम करने कोई भी व्यक्ति 24 घण्टे कभी भी आ सकता है। हर माह बैडशीट व तकिया की खोली की धुलाई कराई जाती है। अधिक ठण्ड होने पर अलाव जलाया जाता है। रैन बसेरा में एक मैनेजर सहित चार कार्मिकों को लगाया गया है।
………………… मालाखेड़ा नगर पालिका में नहीं है रैन बसेरे की व्यवस्था मालाखेड़ा. सर्दी ने भले ही जोर पकड़ लिया हो, लेकिन यहां मुख्यालय पर प्रशासन की ओर से बेसहारा लोगों व मुसाफिरों की सुविधा के लिए स्थानीय नगर पालिका में किसी भी प्रकार के रैन बसेरे की व्यवस्था नहीं है। जिसके चलते यहां कोई भी राहगीर या यात्री को ठहरने के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
पंचायत समिति मालाखेड़ा की करीब 32 ग्राम पंचायत हैं। वहां किसी भी ग्राम पंचायत में आपात स्थिति में राहगीर को ठहरने की कोई व्यवस्था सुनिश्चित नहीं है। पंचायत समिति मालाखेड़ा के कार्यवाहक विकास अधिकारी ओमप्रकाश सैनी से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया रैन बसेरे संचालन के कोई ऑर्डर नहीं आए हैं। इसलिए अभी कहीं भी रैन बसेरा संचालित नहीं है।