इंदिरा शताब्दी वर्ष से शुक्ल हुआ शुरू
आनंद भवन को इंदिरा गाँधी न भी प्रधानमंत्री बनने के बाद एक नवंबर 1970 को जवाहरलाल नेहरू स्मारक निधि को सौंप दिया।1971 में आनंद भवन को एक स्मारक संग्रहालय के रूप में दर्शकों के लिए खोल दिया गया। 2016 तक आनंद भवन को देखने के लिए निशुल्क व्यवस्था थी। लेकिन 2016 में स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शताब्दी वर्ष समारोह के बाद आनंद भवन के अवलोकन के लिए शुल्क निर्धारित कर दिया गया। जिसमें आनंद भवन को देखने के लिए 50 का टिकट तारामंडल और लाइब्रेरी सहित 70 और विदेशी पर्यटकों के लिए 200 का टिकट निर्धारित किया गया है।
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हर दिन पंहुचते सैकड़ों पर्यटक
आनंद भवन में नेहरू परिवार की स्मृतियाँ संजोकर रखी गई है। आजादी की जंग के बाद यह एक विरासत हो गया।आज भी हर दिन हजारों लोग आनंद भवन पहुंचते हैं। दक्षिण भारत से आने वाले पर्यटकों की सबसे ज्यादा संख्या संगम के अलावा आनंद भवन में होती है, जहां वह एक धर्मस्थल की तरह पहुंचते हैं। नेहरू ,इंदिरा, महात्मा गांधी की तस्वीरों सहित उनके उपयोग में किए जाने वाले सामानों को रखा गया है। आनंद भवन में 2003 से पहले आनंद भवन ट्रस्ट हर साल नगर निगम को 600 के हिसाब से गृह कर देता था। 2003 के बाद कर का पुनर्मूरल्यांकन किया गया ।उसके बाद आनंद भवन संग्रहालय और तारामंडल का गृहकर बढ़ गया। 2009 -10 में ब्याज समेत कुल 12318602 रुपए किया गया। 2013 -14 में फेसबुक में बढ़ाया गया बकाया राशि 2407 8763 रुपए हो गई जो अब बढ़कर 43623 979 हो गई है।
जाँच के बाद निर्णय
आनंद भवन को इतनी लंबी रकम का बकाया नोटिस मिलने पर ट्रस्ट के पदाधिकारियों में खलबली मची है। पदाधिकारियों ने नगर निगम के अधिकारियों से एक बार फिर उसकी जांच की मांग की है। कहा है की यह देश की धरोहर है इसका कामर्शियल इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। इसलिए उनका टैक्स माफ किया जाए नगर निगम के कर निर्धारण अधिकारी पीके मिश्रा ने कहा कि आनंद भवन की ओर से कुछ कागजात मुहैया कराए गए हैं। उनकी जांच अल्लापुर जोनल टीम को दी गई है ।वह जांच कर रहे हैं जांच में गजब पुष्टि होती है कि वह चैरिटी कर रहे हैं तो माफ़ भी हो सकता है क्योंकि धार्मिक और चैरिटी संस्थाओं पर टैक्स माफ रहता है।