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पुराने दस्तावेजों में दर्ज मुकदमों से पता चलता है कि पूर्व विधायक जवाहर पंडित के खिलाफ इलाहाबाद जिले में ही नहीं पड़ोसी जिले के थानों में भी मुकदमा दर्ज था। जवाहर पंडित के खिलाफ के थाने में दर्जनभर मुकदमे दर्ज थे। खास बात यह है कि जवाहर पंडित स्कूली शिक्षा मात्र तीसरी कक्षा तक की थी। वहीं करवरिया बन्धुओं पर कोई भी अपराधिक मुकदमा नही रहा। हालाकि अदालत ने दोषी करार दे दिया है जिसके बाद सजा तय की जाएगी। दोषी करार दिए जाने के बाद भी करवरिया बन्धुओं की कचहरी में दलील रही की वह अपर्धि नही है।
जवाहर पंडित का अपराधिक इतिहास
जवाहर पंडित के खिलाफ नैनी थाने में पहला मुकदमा 1982 में दर्ज हुआ था। जिसकी अपराध संख्या 364 वर्ष 1982 आईपीसी की धारा 307 का था। फिर अपराध संख्या 498 सन 1985 आईपीसी की धारा 147 वा 307 दर्ज किया गया था। अपराध संख्या 57 आईपीसी की धारा 147 307 302 का मुकदमा था।नैनी में ही वर्ष 1991 में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। इसकी अपराध संख्या 298 वर्ष 1994 आईपीसी की धारा 386 व 506 में चौथा मामला पंजीकृत हुआ।1991 में अपराध संख्या 395 वर्ष 1991 आईपीसी की धारा 386 में मुकदमा दर्ज किया गया। कैंट में दूसरा मुकदमा अपराध संख्या 302 वर्ष 1997 में गुंडा एक्ट दर्ज हुआ। सीआरपीसी की धारा 107 की संख्या 305 वर्ष 1992 कैंट थाने में तीसरा मुकदमा दर्ज किया गया। करेली में अपराध संख्या 155 वर्ष 1991 आईपीसी की धारा 307 का मामला दर्ज हुआ सरायनाइत में अपराध संख्या 383 वर्ष 1996 आईपीसी की धारा 307 कौशांबी जिले के पीपली थाने अपराध संख्या 196 धारा 307 आईपीसी एक्ट का मुकदमा इलाहाबाद में दर्ज है।