कब हुआ था आजाद भारत के पहले कुंभ का आयोजन? देखें पुरानी तस्वीरें
First Kumbh of Independent India: आजाद भारत के पहले कुंभ मेले में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की शिरकत हुई थी। जानिए कैसे इस कुंभ के लिए खास तैयारियां की गई, जिसमें कीटनाशक छिड़काव, स्ट्रीट लाइट्स, अस्थाई अस्पताल और एंबुलेंस की व्यवस्था शामिल थी।
First Kumbh of Independent India: भारत 1947 में आजाद हुआ था। क्या आपने कभी सोचा है कि देश आजाद होने से पहले कुंभ मनाया जाता था या नहीं। यदि हां, तो आजादी से पहले कुंभ का आयोजन कैसे होता था। आपको बता दें कि आजाद भारत का पहला कुंभ साल 1954 में आयोजित किया गया था।
आजाद देश के पहले कुंभ में पहले राष्ट्रपति ने लगाई डुबकी
दरअसल, आजादी के पहले अंग्रेजी हुकूमत कुम्भ, अर्धकुम्भ और माघ मेले का आयोजन करती थी। मेले का प्रबंधन संभालने के लिए इंग्लैंड से अफसर बुलाए जाते थे। आजाद देश का पहला कुंभ 1954 में आयोजित हुआ और इसके लिए प्रदेश सरकार ने महीनों पहले तैयारी शुरू कर दी थी। इस कुम्भ में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आने से यह कुंभ यादगार बन गया।
पहले कुंभ में क्या-क्या व्यवस्थाएं थी?
इस मेले के शुरू होने से पहले जनता को टीकाकरण के लिए जागरूक किया गया। करीब 250 मन कीटनाशक का छिड़काव किया गया। संक्रमण और बीमारियों से श्रद्धालुओं को बचाने के टीका लगाया गया था। आजादी के बाद कुम्भ मेले में पहली बार एक हजार स्ट्रीट लाइट लगाई गई थी। भूले-भटकों को मिलाने और भीड़ को सूचना देने के लिए लाउडस्पीकर लगाए गए थे। संगम स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के इलाज को तंबुओं में सात अस्थाई अस्पताल बनाए गए थे। एंबुलेंस की व्यवस्था भी थी। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने नाव पर और पैदल चलकर कुंभ की तैयारी देखी थी।
कुंभ में शामिल हुए देश के प्रथम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री
कुम्भ शुरू होने के बाद संगम में में डुबकी लगाने के लिए राष्ट्रपति प्रयागराज आए थे और किले में रुके थे। किले की छत पर से उन्होंने कुंभ मेले को देखा था। उसी स्थान को आज प्रेसीडेंट्स व्यू के तौर पर जाना जाता है। मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू संगम स्नान करने आए थे।
प्रमुख स्नान पर्वों पर वीआईपी आगमन रोका
जिस दिन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू संगम में आए थे, उसी दिन संगम क्षेत्र में एक हाथी के नियंत्रण से बाहर होने के कारण हादसा हुआ था। तभी से कुंभ में हाथी के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। 1954 के कुंभ में हुए हादसे के बाद प्रमुख स्नान पर्वों पर वीआईपी के संगम क्षेत्र में जाने पर रोक लगा दी गई। देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ही कुम्भ के प्रमुख स्नान पर्वों पर वीआईपी के जाने पर रोक लगाने का आदेश दिया था। आज भी कुम्भ, महाकुम्भ, अर्द्धकुम्भ के बड़े स्नान पर्वों के दिन वीआईपी के जाने पर रोक है।