लखनऊ ,दिल्ली और आगरा तक दौड़
बता दें कि जिले की तीनों अध्यक्ष पद के लिए कुल 91 उम्मीदवार मैदान में है । बड़ी बात यह है कि उम्मीदवारों के साथ जिले के किसी भी मंत्री का नाम खुलकर सामने नहीं आ रहा है । किसी मंत्री या सांसद ने किसी को अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है । ऐसे में संगठन में अध्यक्ष पद की लड़ाई बेहद दिलचस्प हो गई है । नामांकन के बाद कुछ नेता इलाहाबाद से लखनऊ तक का चक्कर लगा रहे हैं । उम्लमीदवार लखनऊ से दिल्ली और दिल्ली से आगरा तक पहुंचा रहे है । आगरा में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का राष्ट्रीय अधिवेशन चल रहा है । जिसमें बतौर पूर्व कार्यकर्ता भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह सहित कई मंत्री और विधायक सांसद आगरा में मौजूद है । ऐसे में उम्मीदवार बैठक में पहुंचकर अपनी पैरवी लगा रहे है।
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संतो के जरिये दरबार पंहुचे नेता
जानकारी के मुताबिक कुछ उम्मीदवार तो संतों महंतों के जरिए भाजपा के नेताओं को पकड़ रहे हैं । कुछ सुनील बंसल के दरबार में पहुंचकर माथा टेक रहे है । प्रयागराज में संगठन का चुनाव इसलिए दिलचस्प है उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या सहित हर कोई संगठन में अपने आप को मजबूत स्थिति में देखना चाह रहा है । भले ही कोई किसी के साथ खुले तौर पर न हो लेकिन अभी तक कोई भी बड़ा नेता किसी भी उम्मीदवार के साथ खुलकर सामने नहीं आया। जिसके चलते लड़ाई दिलचस्प हो गई है ।
केशव मजबूत पर नंदी पर भी भरोसा
जिले में अध्यक्ष के तीन पद है । जिसके लिए कुल 91 नामांकन हुए हैं । जिनमें सबसे ज्यादा 37 नामांकन महानगर के लिए हुआ है । यमुनापार के लिए 28 गंगा पार के लिए 26 नामांकन हुए हैं । बताया जा रहा है कि संगठन के जिला अध्यक्षों की सूची पर आखिरी मुहर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगाएंगे । उसके पहले प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल भी लिस्ट देखेंगे । यह देखना होगा कि जिले की कमान किसके हाथ पर जाती है किसकी दरबारी कितनी मजबूत साबित होती है । भाजपा के भीतर खानों की माने तो उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जी से चाहेंगे उसे ही जिले के तीनों अध्यक्षों की कमान सौंपी जाएगी । लेकिन लोगों का यह भी कहना है कि नंदी को कम नहीं समझना चाहिए क्योंकि बाबा के बेहद करीबी हैं ।
संगठन के चुनाव में सरकार का दबाव नही
जिले में चुनाव प्रभारी गोरखपुर के विधायक डॉक्टर राधा मोहन अग्रवाल ने कहा कि चुनाव पारदर्शी तरीके से होगा । संगठन के चुनाव में सरकार का दबाव नहीं होता है । कार्यकर्ता मेहनत की कसौटी और अपनी लोकप्रियता के आधार पर तय किया जाएगा । इसके लिए क्रमबद्ध तरीके से संगठन में चर्चा हो चुकी है ।