महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि पहले ऐसा होता था जब गुरुकुल परंपरा थी । तब खास वर्ग के लोगों का चयन हुआ करता था जो उचित भी था। लेकिन भारत आज 21वीं सदी में पहुंच चुका है । जहां हर धर्म हर मजहब हर भाषा का सम्मान होना चाहिए ज्ञान का सम्मान होना चाहिए । जिन्हें जो संवैधानिक अधिकार मिले हैं उसके तहत उनका आदर करना चाहिए । ऐसे में अगर मुस्लिम प्रोफेसर संस्कृत पढ़ा रहे हैं तो यह अच्छी बात है हमें उनका विरोध नहीं करना चाहिए । बल्कि हमें उनका स्वागत करना चाहिए क्योंकि उन्होंने गैर मजहबी भाषा को चुना और पढ़े उसके विद्वान बनें । एक मुस्लिम ने संस्कृत की शिक्षा ग्रहण की हमारे लिए बड़ी बात है । इसलिए उनका सम्मान होना चाहिए।
कर्मकांड का विरोध
वहीं इससे अलग काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों का कहना है कि मुस्लिम शिक्षक का कोई विरोध नहीं है । विरोध इस बात का है कि संस्कृत विषय में जिस धर्म विद्या विज्ञान छंद वेद उन्हें पढ़ाने है । उसमें प्रायोगिक कर्मकांड भी होते हैं जो वह मुस्लिम होने के नाते नहीं कर सकते है । इस बात का विरोध है कि जब वह कर्मकांड नहीं कर सकते तो कैसे पढ़ा सकते हैं । उन्होंने कहा कि तमाम विषयों को मुस्लिम शिक्षक पढ़ा रहे हैं और सभी पढ़ रहे हैं लेकिन जो चीजें कर्मकांड से जुड़ी हैं उनको कैसे स्वीकार किया जा सकता है।