अजमेर के लिए 1947 करोड़ मंजूर स्मार्ट सिटी मिशन के तहत अजमेर में 1947 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट तैयार किए जा रहे हैं लेकिन इन कार्यों में जमकर वित्तीय अनियमितताएं हो रही हैं। प्रोजेक्टों की गुणवत्ता से खिलवाड़ किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी के कर्ताधर्ता अभियंता तथा ठेकेदार अपनी मनमानी पर उतारू हैं। स्मार्ट सिटी मिशन के पीपीपी मॉडल को भी दरकिनार कर दिया गया है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 50 प्रतिशत राशि केन्द्र, 30 प्रतिशत राज्य तथा 10 प्रतिशत नगर निगम व 10 प्रतिशत राशि अजमेर विकास प्राधिकरण को देनी है। शेष कार्य कनर्वेंस के माध्यम से करवाने थे जिनमें पीडब्ल्यूडी, एडीए, रेलवे व अन्य विभाग शामिल है।
भू-माफियों को फायद पहुंचाने के लिए नहीं हटाए अतिक्रमण शहर के बीचों बीच बनी प्राकृतिक आनासागर झील के अंदर लाखों टन मिट्टी डाल कर पाथवे का निर्माण किया जा रहा है। इसका फायदा झील के किनारे हुए अतिक्रमण वालों को मिलेगा। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों की भू-माफियाओं से मिली भगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए झील के भराव क्षेत्र में सेवन वंडर्स बनाया जा रहा है। जबकि यहां खेल मैदान विकसित किया जा सकता था। इससे आसपास की कॉलोनियों के बच्चों को चन्द्र वरदाई पटेल मैदान की तरह खेल मैदान मिलता। इन प्रोजेक्टों को डाल दिया ‘ठंडे बस्तेÓ में
स्मार्ट सिटी के अभियंताओं की मनमर्जी के कारण टेंडर होने के बावजूद शहर में बनने वाल चिल्ड्रेन पार्क का प्रोजेक्ट रद्द कर दिया गया। शिलान्यास के तीन साल बाद भी साइंस पार्क के निर्माण मेंं एक भी इंट नहीं लग सकी। यही हाल ब्रह्मपुरी नाले को कवर करने के प्रोजेक्ट का रहा। आनासागर की तरह चौरसियावास तालाब पर भी चौपाटी बनाने की योजना को सर्वे के बावजूद ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। केन्द्रीय बस स्टेंड को भी स्मार्ट सिटी के तहत बनाया जाना था, इसके लिए अहमदाबाद मॉडल चिन्हित किया गया था लेकिन आमजन के लिए उपयोगी यह प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के अभियंताओं की भेंट चढ़ गया। इसके बदले कलक्ट्रेट का नया भवन तथा पटेल मैदान में कॉम्पलेक्स बनाया जा रहा है। वहीं एबीडी एरिया के बाहर होने के बावूजद जीसीए तथा लॉ कॉलेजे में करोड़ों रूपए खर्च किए जा रहे है। जानकारों का कहना है कि स्मार्ट सिटी के अभियंता की पत्नी जीसीए में लेक्चरर है इसलिए यहा एबीडी एरिया होना या नहीं होना मायने नहीं रखता।