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‘अजमेर में दरगाह थी, है और रहेगी’, अंजुमन कमेटी के सरवर चिश्ती बोले- किसी की मुरादें पूरी नहीं होंगी

Ajmer Dargah Temple Case: अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के स्वीकार होने पर अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि ये गरीब नवाज की दरगाह थी, है और रहेगी।

अजमेरNov 27, 2024 / 09:53 pm

Nirmal Pareek

Ajmer Dargah Temple Case: अजमेर जिले में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के स्वीकार होने पर अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि इंशाल्लाह किसी की मुरादें पूरी नहीं होगी, ये गरीब नवाज की दरगाह थी, है और रहेगी।
दरअसल, हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा किया जा रहा है। बुधवार को इस मामले को लेकर अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम में सुनवाई हुई। कोर्ट ने दरगाह में मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है।

क्या बोले सरवर चिश्ती?

बताते चलें कि अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने के मामले पर निचली कोर्ट के आए फैसले पर अजमेर दरगाह अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि संभल मामले पर भी ऐसा ही हुआ था। सुबह याचिका लगाई गई, दोपहर को फैसला आ गया और शाम को कमिश्नर-डीएम और प्रशासनिक अमले को लेकर सर्वे करने भी चला गया। रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई और उसके दो दिन बाद क्या हुआ सबने देखा।
अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि कभी मथुरा तो कभी काशी, बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर हमने कड़वा घुट पी लिया था। यह सोचकर की आगे से ऐसा फिर नहीं होगा। 22 जून को भी मोहन भागवत जी ने कहा था कि हर मस्जिद में शिवलिंग तलाश नहीं होनी चाहिए।
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दरगाह भाइचारे का केन्द्र- सरवर चिश्ती

उन्होंने कहा कि जब प्लेसेज़ आफ वरशिप एक्ट के तहत बाबरी मस्जिद के अलावा बाकी सभी धार्मिक स्थलों के स्टेटस आजादी से पहले जैसे ही रखने की बात थी तो इसे क्यों छेड़ा गया। जहां तक ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की बात है। यह सांप्रदायिक एकता और भाईचारे के साथ अनेकता में एकता का केंद्र रहा है। अफगानिस्तान से लेकर इंडोनेशिया तक यह एक बड़ा आस्था का केंद्र भी है। इसे रोज-रोज इस तरह से तमाशा का केंद्र बनाना सही नहीं है।
सरवर चिश्ती ने कहा कि अदालत में तीन लोगों को नोटिस जारी किया है। हमने यहां पर बड़े-बड़े दौर देखे हैं लेकिन कुछ नहीं हुआ। 11 अक्टूबर 2007 को दरगाह के पास बम ब्लास्ट हुआ, जिसमें हमारे भी लोग मारे गए थे। इससे भी उनका दिल नहीं भरा तो पिछले तीन साल से दरगाह को लेकर यह शख्स इसी तरह की बयानबाजी कर रहा है। सदियों पुराने मस्जिदों में इनको शिवलिंग नजर आता है, लेकिन यह चीज देश हित में नहीं है। इंशाल्लाह किसी की मुरादें पूरी नहीं होगी, ये गरीब नवाज की दरगाह थी, है और रहेगी।
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कोर्ट ने 3 पक्षों को नोटिस किया जारी

गौरतलब है कि बुधवार को अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम ने अजमेर दरगाह में मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका पर सुनावाई करते हुए कहा कि इससे संबंधित लोगों को नोटिस जारी किए जाएंगे। कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस देकर पक्ष रखने को भी कहा है। इस मामले में कोर्ट 20 दिसंबर को अगली सुनवाई करेगी।

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