माखुपुरा स्थित कॉलेज परिसर में गल्र्स हॉस्टल (girls hostel), एकेडेमिक ब्लॉक (academic block), पुस्तकालय, (library) लेब (lab), कैंटीन (canteen), प्राचार्य निवास (principal residence) बने हुए हैं। इसके अलावा परिसर में 5 हजार से ज्यादा पेड़-पौधे उद्यान (garden) भी हैं। मौजूदा वक्त यहां बीसलपुर लाइन से पानी आता है। कॉलेज भविष्य में पानी की बचत करना चाहता है। इसको लेकर लघु सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना तैयार की गई है।
कॉलेज प्रशासन लघु सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का प्रस्ताव बनाकर केंद्र और राज्य सरकार, तकनीकी शिक्षा विभाग (technical edication dept), एआईसीटीई (aicte) को भेजेगा। जमीन की उपलब्धता के अनुसार प्लांट 50 से 100 एमएलडी तक हो सकता है। योजना (yozna) को मंजूरी और बजट उपलब्ध होने के बाद कॉलेज कामकाज शुरू कराएगा।
कृषि कार्यों, व्यावसायिक और घरेलू उपयोग के लिए लोग अंधाधुंध जल दोहन से समूचा अजमेर जिला डार्क जोन (dark zone)में है। भूजल विभाग (ground water dept) प्रतिवर्ष जिले की नौ पंचायत समितियों में भूजल स्तर मापन करता है। इसके लिए 350 कुएं चिह्नित हैं। पंचायत समितियों में 110.14 से 180.12 मीटर तक भूजल स्तर गिर चुका है।
-बरसात और परिसर के पानी को किया जा सकेगा शुद्ध
-एकेडेमिक-प्रशासनिक भवन और हॉस्टल में हो सकेगा पानी का उपयोग
-उद्यान और पेड़-पौधों की हो सकेगी सिंचाई
-कचरे से बनाई जा सकेगी खाद read more: Drinking water: अब अजमेर को 48 घंटे में मिलेगा पानी
प्रतिवर्ष बरसात के रूप में जिले में करीब 5,550 एमसीएफटी पानी गिरता है। इसमें से ढाई हजार एमसीएफटी पानी ही झीलों (lake)-तालाबों (ponds)अथवा भूमिगत टैंक तक पहुंचता है। बाकी पानी व्यर्थ बह जाता है। 70 फीसदी से ज्यादा सरकारी और निजी महकमे (private), व्यापारिक संस्थानों (business house)-औद्योगिक इकाइयों (industrial unit)में छत के पानी का संग्रहण का इंतजाम नहीं है।
डॉ. जे.के.डीगवाल, प्राचार्य राजकीय महिला इंजीनियरिंंग कॉलेज