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अजमेर

सरकार से नाराज हैं राजपूत, आनन्दपाल सिंह की मां को उतारेंगे लोकसभा चुनाव में

आनन्दपाल की मां को भी चुनाव मैदान में उतारने की बात कही। बाद में तुरंत कहा कि सेना के किसी सदस्य को भी उतारा जा सकता है।

अजमेरDec 09, 2017 / 08:28 am

raktim tiwari

anand-pal-singh-mother figth election

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अजमेर।

राजपूतों की राज्य सरकार से नाराजगी बनी हुई है। राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना की ओर से अजमेर लोकसभा उपचुनाव में गैंगस्टर आनन्दपाल की मां को भी मैदान में उतारा जा सकता है। अजमेर में राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेवसिंह शेखावत गोगामेड़ी ने यह चेतावनी दी। हालांकि बाद में उन्होंने सेना के किसी सदस्य को चुनाव लड़ाए जाने की बात कहकर पत्ते खोलने से गुरेज किया।
पुष्कर रोड स्थित लालगढिय़ा पैलेस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान गोगामेड़ी ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि करणी सेना सर्वसमाज की राय लेकर अपना कोई उम्मीदवार उपचुनाव में उतार सकती है। इस दौरान एकबारगी उन्होंने आनन्दपाल की मां को भी चुनाव मैदान में उतारने की बात कही। बाद में तुरंत कहा कि सेना के किसी सदस्य को भी उतारा जा सकता है।
गैंगस्टर था आनंदपाल
आनंदपाल सिंह राजस्थान का कुख्यात गैंगस्टर था। उसके खिलाफ अपहरण, फिरौती मांगने जैसे कई मामले चल रहे थे। वह सांवराद गांव का रहने वाला था। आनंदपाल सिंह को लेकर कई बार सरकार खुद घेरे में आई थी। वह अजमेर सेंट्रल में बंद था। सितम्बर 2015 में उसे पेशी के लिए पुलिसकर्मी कड़ी सुरक्षा में नागौर जिले ले जा रहे थे। इसी दौरान डीडवाना-परबतसर के आसपास आनंदपाल सिंह के साथी पुलिसकर्मियों पर फायरिंग कर उसे छुड़ाकर ले गए।
पुलिसकर्मी की थी संदिग्ध भूमिका
आनंदपाल सिंह को भगाने में कमांडो सहित 11 पुलिसकर्मियों की भी संदिग्ध भूमिका थी। आनंदपाल सिंह ने जेल में रहते हुए पुलिसकर्मियों से संपर्क साधा था। उसने भागने की प्लानिंग के तहत मिठाई मंगवाई। उसमें बेहोशी की दवा मिलाकर रास्ते में पुलिसकर्मियों को खिलाया। बाद में वह सुभाष मूंड, भाई और अन्य के सहयोग से फरार हो गया।
एनकाउन्टर में हुआ ढेर
आनंदपाल सिंह करीब डेढ़ साल तक इधर-उधर फरारी काटता रहा। मई-जून में राजस्थान एटीएस और एसओजी को उसके सीकर-चूरू जिले के गांव में छुपे होने की जानकारी मिली। एसओजी और एटीएस ने तत्काल टीम गठित कर गांव भेजी। यहां आनंदपाल सिंह एक मकान में पनाह लिए था। रात में ही पुलिस ने मकान को घेर कर आनंदपाल सिंह को एनकाउन्ट में ढेर कर दिया।
शव को लेकर हुई था नाटक
आनंदपाल सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर भी जबरदस्त नौटंकी हुई। उसके पैतृक गांव सांवरदा में करीब 20 दिन तक शव पड़ रहा। आनंदपाल की परिजनों, पत्नी ने मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की। इस दौरान राजपूत ने स्वाभिमान रैली निकाली। सांवराद में दंगे जैसे हालात हो गए। लोगों ने रेलवे स्टेशन सहित कई जगह आग लगा दी। बाद में सरकार को यहां कफ्र्यू लगाना पड़ा। राज्य मानवाधिकार आयोग की सख्ती और सरकार के सीबीआई से जांच कराने के आश्वासन पर आनंदपाल का अंतिम संस्कार हो पाया था।

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