देवनानी ने बताया कि तारंकित सवाल का जो जवाब सरकार की ओर से दिया गया है उससे स्पष्ट है कि विशेषज्ञ चिकित्सकों के पदस्थापन को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। न्यूरोसर्जरी विभाग में आचार्य, सह आचार्य व सहायक आचार्य के स्वीकृत 6 पदों में से मात्र एक आचार्य का पद भरा हुआ है। हृदय रोग विभाग में करोड़ों की राशि से कार्डियोथोरेसिक सर्जरी सेंटर की स्थापना कराई गई, लेकिन यहां स्वीकृत सभी 7 पद रिक्त हैं। इससे मरीजों को बाईपास सर्जरी के लिए निजी चिकित्सालय अथवा बाहर जाना पड़ता है।
नेफ्रोलॉजी विभाग में भी स्वीकृत 1 पद रिक्तहै। इनके अतिरिक्त कार्डियोलॉजी, सर्जरी, चर्म, अस्थि, यूरोलॉजी, नेत्र, शिशु, स्त्री व प्रसूति, टीबी, गेस्ट्रोएन्ट्रोलॉजी आदि विभागों में सह आचार्य व सहायक आचार्य के पद रिक्तहैं। उन्होंने कहा कि यह चिन्ता का विषय है कि सरकार चिकित्सालय के प्रमुख विभागों में चिकित्सक लगाने के लिए गंभीर नहीं है। जबकि सरकार ने बताया कि मार्च से जुलाई के मध्य तीन बार में सरकार ने प्रदेश में चिकित्सकों की नियुक्तिके लिए 269 सहायक आचार्य व वरिष्ठ प्रदर्शक के पदों पर भर्ती की अभ्यर्थनाएं आरपीएससी को भेजी हैं, जो कि प्रक्रियाधीन हैं।