विश्वविद्यालय में बीते फरवरी तक अनिता चौधरी
(anita chaudhry) कुलसचिव पद पर कार्यरत थीं। इस दौरान सेवानिवृत्त कार्मिकों की पैंशन ग्रेच्यूटी भुगतान (pention ), सातवें वेतनमान (7th pay commission), विभागीय पदोन्नति (departmental promotion), संघ के कार्यालय और फर्नीचर खरीद (furniture purchase) मामलों को लेकर मंत्रालयिक कर्मचारी संघ पदाधिकारियों और कुलसचिव के बीच तकरार हो गई थी। इस बीच चौधरी का तबादल हो गया। तबसे वित्त नियंत्रक (finance controller) भागीरथ सोनी ही कुलसचिव पद संभाले हुए थे।
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aanasagar : इतना छलका आनासागर कि लबालब हो गई गागर गड़बड़ा गई व्यवस्थाएंकुलपति प्रो. आर. पी. सिंह
(r.p. singh) के कामकाज पर हाईकोर्ट (rajasthan high court) की रोक और स्थाई कुलसचिव (registrar) नहीं होने से विश्वविद्यालय में कामकाज गड़बड़ा चुका है। कार्यवाहक कुलसचिव सोनी की भी डीन कमेटी
(dean committee) सदस्यों, छात्रों, शिक्षकों से कई मामलों में तकरार हो गई थी। कुलसचिव की नियुक्ति से विश्वविद्यालय के सामान्य कामकाज (work) में सहूलियत हो सकेगी।
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सर्दी, जुकाम, खांसी और बुखार के मरीजों में बढ़ोतरी यहां उधार के शिक्षक पढ़ाते हैं हिंदी, 4 साल में कोर्स बदहाल हिंदी
(hindi) को राष्ट्रभाषा का दर्जा हासिल है। सामान्य बोलचाल और कामकाज में हम हिंदी इस्तेमाल करते हैं। लेकिन महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय इससे इत्तेफाक नहीं रखता। पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह
(kalyan singh) की पहल पर खुला हिंदी विभाग बदहाल है। ना स्थाई शिक्षकों की भर्ती हुई ना दाखिले बढ़ पाए हैं। विश्वविद्यालय में 28 साल तक हिंदी विभाग ही नहीं था। ना सरकार ना कुलपतियों ने हिंदी विभाग
(dept of hindi) खोलने की पहल की। राजस्थान पत्रिका ने मुद्दा उठाया तो राज्यपाल कल्याण सिंह ने तत्काल संज्ञान लिया। उनके निर्देश पर तत्कालीन कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी (kailash sodani) ने वर्ष 2015 में हिंदी विभाग स्थापित किया।