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mdsu ajmer: पिछले साल के टॉपर्स को मेडल का इंतजार लक्ष्मीनारायण बैरवा की जनहित याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग (pradeep nadrajog) की खंडपीठ (double bench) ने बीते साल 11 अक्टूबर को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह
(r.p.singh)को नोटिस जारी कर 26 अक्टूबर तक कामकाज पर रोक लगाई थी। इसके बाद न्यायालय ने रोक 1,16, 28 नवंबर, 3 दिसंबर और 11 और 29 जनवरी, 21, 25 एवं 27 फरवरी, 6 और 27 मार्च, 4 एवं 18 अप्रेल, 12 जुलाई और 2 अगस्त तक बढ़ा दी थी। इसमें फिलहाल कोई बदलाव होता नहीं दिखा है।
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Problem: ना वाइस चांसलर ना डीन कमेटी, कैसे चलेगी यूनिवर्सिटी चरमरा चुकी है व्यवस्थाएंकुलपति की गैर मौजूदगी से नौ महीने में विश्वविद्यालय की व्यवस्थाएं (work effects) चरमरा चुकी हैं। राजभवन द्वारा गठित डीन कमेटी के एक सदस्य
(committee member) का कार्यकाल खत्म हो गया है। विश्वविद्यालय में स्थाई कुलसचिव नहीं है। बगैर कुलपति के सभी शिक्षकों (teachers), कई कर्मचारियों (employee), अधिकारियों (officers)को सातवें वेतनमान का लाभ नहीं मिल पाया है। प्रबंध मंडल (BOM) और एकेडेमिक कौंसिल (academic council) की बैठक अटकी हुई है। नवां दीक्षान्त समारोह, शोध प्रवेश परीक्षा और अन्य कार्य नहीं हो पाए हैं।
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Big issue: कौनसा कुलपति करेगा डिग्री पर सिग्नेचर अब एक्ट पर नजरें… सरकार (state government )ने विधानसभा (assembley )में विश्वविद्यालय की विधियां (संशोधन) विधेयक 2019 पारित किया गया है। इसमें कुलपति को हटाने
(removal of vice chancelllor) को लेकर प्रावधान सुनिश्चित किया गया है। नियम की उपधारा (1) में कहा गया है किस भी जांच के लंबित रहने के दौरान या उसको ध्यान में रखते हुए कुलाधिपति , सरकार के परामर्श कुलपति को हटाया जा सकेगा। सरकार के एक्ट (govt Act)पर सबकी नजरें टिकी हैं। हाल में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गुलाबसिंह चौहान ने इस्तीफा दिया था। माना जा रहा है कि संशोधित एक्ट के बाद कई कुलपतियों की विदाई होगी।