अधिकृत जानकारी के अनुसार सौरभ ने अतिरिक्त मुख्य निदेशक (कार्मिक) और अतिरिक्त निदेशक आरपीएससी (rpsc) के नाम से दो पत्र भेजे थे। इन्हें खोलने पर कटी-फटी सर्विस बुक और अंकतालिका निकली। आयोग स्टाफ ने लिफाफे पर लिखे नंबर (phone numbers) पर संपर्क किया तो आरोपी ने भी संबंधित मामलों में तत्काल जानकारी भेजने को कहा था।
आयोग को मिले पत्रों पर भरतपुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय की मुहर लगी थी। आयोग सचिव (rpsc seceratary)ने जब संबंधित पुलिस अधीक्षक से बातचीत की तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई। इस पर आयोग ने पत्रों को संदेह (suspicious) की श्रेणी में रख लिया। लेकिन शातिर ठग ने दोबारा भरतपुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय की मुहर लगे पत्र भिजवा दिए। इस बार मुहर (seal) असली पाई गई। आयोग ने भरतपुर पुलिस अधीक्षक को फिर से अवगत कराया था।
आंतरिक स्तर पर आयोग को शातिर ठग द्वारा बेरोजगारों (un employed persons) से पैसा लेकर फांसने का शक हो गया था। इसके बावजूद आरोपी ने बेरोजगारों के सामने रॉब झाडऩे के लिए आयोग के अधिकारियों से एक-दो बार बातचीत की। लेकिन आयोग ने उसे हमेशा संदेह के घेरे में रखा।
सर्किट हाउस मामला उजागर होने के बाद आयोग सचिव के. के. शर्मा ने तत्काल पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप (kunwar rashtradeep) को आरोपी से जुड़ी जानकारियां दी। उन्होंने आयोग को मिले फर्जी पत्रों, फोन पर संपर्क किए जाने की जानकारी दी है।
आरोपी को लेकर आयोग सचिव ने पुलिस अधीक्षक को खास जानकारी दी है। मामले की उ”ा स्तरीय तहकीकात जारी है। इसका जल्द खुलासा किया जाएगा।
डॉ. प्रियंका रघुवंशी, सीओ नॉर्थ