सावन माह की शुरुआत में अच्छी बारिश के चलते फिलहाल फसलों को जीवनदान मिला हुआ है। करीब 15 दिन पूर्व की बारिश के चलते जमीन में नमी से फिलहाल फसलें खड़ी हैं। मगर तेज धूप व गर्मी के चलते फसलों के पत्ते पीले पडऩे लगे हैं। हाथीखेड़ा, अजयसर मार्ग पर खेतों में मुरझाती फसलों को लोग कुओं से पानी पिला रहे हैं। लेकिन कई किसानों के पास कुएं व ट्यूबवेल नहीं होने से फसलों पर संकट मडरा रहा है।
अगेती व पछेती फसलों में जरूरी है सिंचाई अगेती व पछेती फसलों में बारिश नहीं होने पर सिंचाई की जरूरत है। लेकिन कुंओं में पानी नहीं है। नलकूप भी नहीं हैं। हाथीखेड़ा के किसान नरपत रावत ने बताया कि भू-जल स्तर नीचे जाने से कुएं सूख गए हैं। अब खरीफ की फसल में सिर्फ बारिश का इंतजार है।
इन फसलों पर पड़ेगा प्रभाव मूंग, उड़द, तिल, मूंगफली, ज्वार, बाजरा, मक्का आदि फसलों के उत्पादन पर प्रभाव पड़ेगा। इनका कहना है चार-पांच दिन में बारिश नहीं आई तो पूरे खेत की फसलें मुरझाने लगेंगी। अभी फसलों को एक बारिश की जरूरत है। समय पर बारिश नहीं आई तो उत्पादन पर भी असर पड़ेगा। कुओं में पानी नहीं है कि सभी खेतों में सिंचाई हो जाए। बिना बारिश के अब काम नहीं चलेगा।
सूरजमल गुर्जर, किसान कायड़