केंद्र सरकार से मांगी कार्य योजना
सार्वजनिक स्थलों पर शिशुओं को दूध पिलाने का स्थान तय करने को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस सम्बंध में कार्य योजना बनाकर लाने के निर्देश किए हैं। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह इस सम्बंध में सभी राज्यों को निर्देश जारी करने का इरादा रखती है। मामले की सुनवाई अब 10 दिसम्बर को है। इससे पहले कर्नाटक हाइकोर्ट भी एक मामले में यह फैसला दे चुका है कि दुग्धपान मां व बच्चे का एक अधिकार है जो संविधान के अनुच्छेद 21 से जुड़ा है।
करना पड़ता है असहजता का सामना
ट्रेन व बसों में प्रतिदिन हजारों महिलाएं यात्रा करती हैं। इनमें से कई ऐसी हैं जिनके साथ दुधमुंहे शिशु होते हैं। बस स्टैण्ड व स्टेशन पर कई बार माताओं को अपने बच्चों को दूध पिलाना पड़ता है। ऐसे में कुछ माताएं तो ओट ढूंढकर स्तनपान कराती हैं वहीं कुछ को मजबूरन पब्लिक के बीच में ही दुग्धपान कराना पड़ता है। ऐसे में माताएं असहजता का सामना करती हैं।
संसद में उठ चुका है मामला
पिछले दिनों राज्य सभा सदस्य कविता पाटीदार भी इस मामले को संसद में उठा चुकी हैं। उन्होंने धात्री महिलाओं को सफर के दौरान परेशानी ना हो इसके लिए मातृत्व कक्ष की व्यवस्था कराने का केंद्र सरकार से आग्रह किया था।
जानें कहाँ कैसे हालत
अजमेर शहर में रोडवेज बस स्टैण्ड पर एक कम्पनी की ओर से शिशु स्तनपान कक्ष बना हुआ है। रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर कुछ साल पहले तक ऐसा कक्ष बना हुआ था। बताया जाता है बाद में इसे यहां से हटा दिया गया। जेएलएन अस्पताल परिसर में भी स्तनपान कक्ष था। इसका बाद में दुरूपयोग होने लगा। फिलहाल एक एल्यूमिनीयम फ्रेम की आड़ जरूर है। ब्यावर रोडवेज बस स्टैंड परिसर में पिछले एक साल से शिशु आहार कक्ष नहीं है। रोडवेज अधिकारियों ने बताया कि केबिन क्षतिग्रस्त होने की वजह से हटाना पड़ा। रेलवे स्टेशन पर निर्माण कार्य होने से केबिन को फिलहाल हटाकर रखा गया है। स्टेशन परिसर में व्यवस्था शुरू है। अमृतकौर चिकित्सालय परिसर में प्रसव व बीमार महिलाओं के लिए मदर मिल्क केंद्र है। महिला परिजन के लिए पृथक शिशु आहार कक्ष नहीं हैं।
किशनगढ़ नए बस स्टैण्ड पर पूर्व में एक कक्ष था जो बाद में क्षतिग्रस्त हो गया। फिलहाल अब यहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर भी शिशु स्तनपान कक्ष नहीं है।