आरोपी के विरुद्ध दर्ज हैं कई मामले
शहर पुलिस के जोन-2 के उपायुक्त श्रीपाल शेसमा ने बताया कि आरोपी मोरिस क्रिश्चियन के विरुद्ध कई आपराधिक मामले दर्ज होने की बात सामने आई है। इस पर कोर्ट ऑफ कंटेम्पट का भी मामला है। इसके विरुद्ध वर्ष 2015 में मणिनगर में एक ठगी की एफआईआर हुई है। वर्ष 2012 में चांदखेडा और 2007 में क्राइम ब्रांच में भी एक मामला दर्ज हुआ है। आरोपी ने गांधीनगर सेक्टर 21 व 24 में किराए पर ऑफिस खोली होने का भी जांच में पता चला है।
खुद को बताता है आर्बिट्रेटर, काउंसिल की वेबसाइट पर सदस्य
शेसमा ने बताया कि आरोपी पर दर्ज ज्यादातर मामले सिविल मैटर से जुड़े हैं। इसने जो भी कागजात बनाए हैं, जो भी आदेश जारी किए हैं, उसकी जांच की जा रही है। कितने लोगों के साथ यह मिला हुआ है, उसकी जांच की जा रही है। इसने वर्ष 2002 में एलएलबी की डिग्री ले ली थी। उसके बाद से वकील के रूप में प्रेक्टिस कर रहा है। इसने पहले सूरत से इंजीनियरिंग की थी। 2022 में पीएचडी भी की है। इसकी माता गोवा और पिता राजस्थान से हैं। यह मूलरूप से साबरमती का रहने वाला है। यह लोगों को खुद का परिचय एक आर्बिट्रेटर के रूप में देता था। कहता था कि वह आर्बिट्रेशन करवा देगा। खुद को इंडियन काउंसिल ऑफ आर्बिट्रेटर का सदस्य बताता है। उसकी वेबसाइट पर जांच की तो उसमें वह सदस्य पाया गया है। फिर भी काउंसिल से इसकी पुष्टि कराई जाएगी। यह ज्यादातर अहमदाबाद, कलोल, माणसा, दहेगाम और गांधीनगर कोर्ट में एक्टिव था।
याचिकाकर्ता को सरकारी जमीन देने का पास किया ऑर्डर
डीसीपी शेसमा ने बताया कि कारंज थाने में सोमवार को सिटी सिविल कोर्ट के रजिस्ट्रार की शिकायत पर आरोपी मोरिस क्रिश्चियन के विरुद्ध मामला दर्ज किया है। इसमें आवेदक बाबूजी ठाकोर और अहमदाबाद कलक्टर कार्यालय के बीच 12 हजार वर्ग गज जमीन के विवाद में यह आवेदक की तरफ से खुद आर्बिट्रेटर नियुक्त हुआ। इसने कलक्टर को नोटिस भेजा। नोटिस स्वीकार होने पर इसने नियमों की अनदेखी करते हुए खुद ही आदेश पारित कर दिया। जिसमें इसने 2000 स्क्वेयर गज जमीन आवेदक को देने और 10 हजार गज जमीन सरकार (कलक्टर) देने का ऑर्डर 30 मार्च 2019 को पारित किया। इसका अमल कराने को सिटी सिविल कोर्ट में दावा कर दिया। इसके लिए इसने बाबूजी ठाकोर से करीब 30 लाख रुपए फीस लेने की बात कही है, कितनी मिली है, इसकी जांच की जा रही है। दो और लोगों से 50-60 लाख रुपए फीस लेने का पता चला है। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि अहमदाबाद मनपा और कलक्टर की जमीन को यह ज्यादातर टार्गेट करता था।